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Importance of Dandi Bara in Mahakumbh Photograph: (News Nation)
Mahakumbh 2025: महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति और धर्म में सबसे बड़ा और पवित्र आयोजन माना जाता है. इस दौरान कई अखाड़ों, संतों और साधुओं की उपस्थिति इसे और भी खास बनाती है. इन्हीं अखाड़ों में से एक प्रमुख केंद्र है दण्डी बाड़ा, जिसका कुंभ मेले में विशेष महत्व है. दण्डी बाड़ा उन सन्यासियों और संतों का स्थान है जो धर्म की रक्षा के लिए कठोर तप और नियमों का पालन करते हैं. यह बाड़ा उन संन्यासियों का प्रतिनिधित्व करता है जो अपनी तपस्या और साधना से आध्यात्मिक ऊर्जा को बनाए रखते हैं. इन संतों को दण्डी स्वामी कहा जाता है क्योंकि वे अपने साथ हमेशा एक दंड (लकड़ी की पवित्र छड़ी) रखते हैं. ये लकड़ी उनके तप और त्याग का प्रतीक होती है.
महाकुंभ में दण्डी बाड़ा का महत्व (Importance of Dandi Bara in Mahakumbh 2025)
दण्डी बाड़ा उन संतों और महात्माओं का स्थान है, जिनकी उपस्थिति कुंभ मेले को आध्यात्मिक रूप से और भी पवित्र बनाती है. शास्त्रों के अनुसार, ये वैदिक ज्ञान और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन और प्रचार का प्रमुख केंद्र होता है. ऐसा माना जाता है कि दण्डी बाड़ा (Dandi Bara) के संतों के आशीर्वाद और उनके मार्गदर्शन के बिना कुंभ का पुण्य स्नान अधूरा रह जाता है. दण्डी बाड़ा कुंभ मेले में तपस्वियों और संन्यासियों के जीवन का जीवंत प्रदर्शन करता है.
दण्डी बाड़ा के बिना अधूरा क्यों है कुंभ
महाकुंभ (Maha Kumbh) में दण्डी बाड़ा मेले की आध्यात्मिक ऊर्जा को केंद्रित करता है. दण्डी स्वामी धर्म, तप और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं. उनका आशीर्वाद कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण होता है. कुंभ मेले की परंपरा और वैदिक अनुष्ठानों का पालन दण्डी बाड़ा (Dandi Bara) के बिना अधूरा माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि कुंभ (Mahakumbh 2025) का पुण्य स्नान तभी फलदायी होता है, जब श्रद्धालु दण्डी स्वामियों का आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके बताए मार्ग पर चलें. यह स्नान आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाने का मार्ग है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)