IPL 2025: जीत के जश्न में डूबा बेंगलुरु शहर, चिन्नास्वामी पहुंची RCB, रंगारंग कार्यक्रम की हुई शुरुआत
इधर RCB जीती ट्रॉफी, उधर विराट कोहली ने पत्नी अनुष्का के लिए कह दी इतनी बड़ी बात
शी जिनपिंग की सोच में समग्र वैश्विक बदलाव और चीन का पुनरुत्थान
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर 'बड़ी हवेली की छोटी ठकुराइन' के कलाकारों ने लगाए पौधे
RCB Victory Parade Stampede: आरसीबी की विक्ट्री परेड में सात लोगों की मौत, 20 लोग हुए घायल
‘सरेंडर जानते हो राहुल बाबा’, पंडित नेहरू का पत्र शेयर कर निशिकांत दुबे ने पूछा सवाल
बजरंग दल ने की मुनव्वर फारूकी के शो को रद्द करने की मांग, दी चेतावनी
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एनर्जी सेक्टर में 11 वर्षों में हुए बड़े और परिवर्तनकारी सुधारों की दी जानकारी
स्वास्थ्य सेवाओं में एआई की दस्तक : इलाज में क्रांति की ओर चीन

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में दण्डी बाड़ा का क्या है महत्व, जानें इसके बिना क्यों अधूरा है कुंभ का पुण्य स्नान

Mahakumbh 2025: आने वाले नए साल में महाकुंभ शुरू होने वाला है. 12 साल में एक बार ये भव्य मेला भारत में लगता है. इस बार प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है.

author-image
Inna Khosla
New Update
Importance of Dandi Bara in Mahakumbh

Importance of Dandi Bara in Mahakumbh Photograph: (News Nation)

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति और धर्म में सबसे बड़ा और पवित्र आयोजन माना जाता है. इस दौरान कई अखाड़ों, संतों और साधुओं की उपस्थिति इसे और भी खास बनाती है. इन्हीं अखाड़ों में से एक प्रमुख केंद्र है दण्डी बाड़ा, जिसका कुंभ मेले में विशेष महत्व है. दण्डी बाड़ा उन सन्यासियों और संतों का स्थान है जो धर्म की रक्षा के लिए कठोर तप और नियमों का पालन करते हैं. यह बाड़ा उन संन्यासियों का प्रतिनिधित्व करता है जो अपनी तपस्या और साधना से आध्यात्मिक ऊर्जा को बनाए रखते हैं. इन संतों को दण्डी स्वामी कहा जाता है क्योंकि वे अपने साथ हमेशा एक दंड (लकड़ी की पवित्र छड़ी) रखते हैं. ये लकड़ी उनके तप और त्याग का प्रतीक होती है.

Advertisment

महाकुंभ में दण्डी बाड़ा का महत्व (Importance of Dandi Bara in Mahakumbh 2025)

दण्डी बाड़ा उन संतों और महात्माओं का स्थान है, जिनकी उपस्थिति कुंभ मेले को आध्यात्मिक रूप से और भी पवित्र बनाती है. शास्त्रों के अनुसार, ये वैदिक ज्ञान और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन और प्रचार का प्रमुख केंद्र होता है. ऐसा माना जाता है कि दण्डी बाड़ा (Dandi Bara) के संतों के आशीर्वाद और उनके मार्गदर्शन के बिना कुंभ का पुण्य स्नान अधूरा रह जाता है. दण्डी बाड़ा कुंभ मेले में तपस्वियों और संन्यासियों के जीवन का जीवंत प्रदर्शन करता है. 

दण्डी बाड़ा के बिना अधूरा क्यों है कुंभ

महाकुंभ (Maha Kumbh) में दण्डी बाड़ा मेले की आध्यात्मिक ऊर्जा को केंद्रित करता है. दण्डी स्वामी धर्म, तप और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं. उनका आशीर्वाद कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण होता है. कुंभ मेले की परंपरा और वैदिक अनुष्ठानों का पालन दण्डी बाड़ा (Dandi Bara) के बिना अधूरा माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि कुंभ (Mahakumbh 2025) का पुण्य स्नान तभी फलदायी होता है, जब श्रद्धालु दण्डी स्वामियों का आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके बताए मार्ग पर चलें. यह स्नान आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाने का मार्ग है.

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Maha Kumbh 2025 Religion News in Hindi Mahakumbh 2025 Prayagraj MahaKumbh 2025
      
Advertisment