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Kartik Purnima 2016: इस ​कार्तिक पूर्णिमा पर चमकेगा आपका भाग्य जानें इसका महत्व और इतिहास

इस कार्तिक पूर्ण‍िमा को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। यह उत्साह हो भी क्यों न आखिर इस बार 70 साल बाद आपको कार्तिक पूर्णिमा पर सबसे बड़ा चांद जो दिखने वाला है।

Updated on: 14 Nov 2016, 08:20 AM

नई दिल्ली:

इस कार्तिक पूर्ण‍िमा को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। यह उत्साह हो भी क्यों न आखिर इस बार 70 साल बाद आपको कार्तिक पूर्णिमा पर सबसे बड़ा चांद जो दिखने वाला है। जी हां, इस सोमवार 14 नवम्बर को पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा से लोगों का भाग्य उदय होगा साथ ही उनके ग्रहों और नक्षत्रों पर अनुकुल प्रभाव पड़ने वाला है। कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन ही मनुष्य को अपनी मानसिक उर्जा में वृद्धि करने के लिए चन्द्र को अर्घ्य देकर स्तुति करनी चाहिए।

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का आठवां महीना कार्तिक का होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है। इस कार्तिक पूर्णिमा का महत्व न केवल वैष्णव भक्तों के लिए ही है, बल्कि शिव भक्तों और सिख धर्म के लोगों के लिए भी इसके खास मायने हैं। विष्णु के भक्तों के लिए भी यह दिन इसलिए बहुत खास माना गया है, क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और इतिहास

अपने पहले अवतार में भगवान विष्णु ने मीन अर्थात मछली का रूप धारण किया था। भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा,प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों,अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इसी से सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हो सका था।

शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार कर दिया, जिससे वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव जी इन्हें त्रिपुरारी नाम दे दिया, जिसके चलते इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहा जाता है।

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वहीं इसी दिन सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है।, क्योंकि इसी दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन सिख सम्प्रदाय के अनुयाई सुबह स्नान कर गुरुद्वारों में जाकर गुरुवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताए रास्ते पर चलने की सौगंध लेते हैं। इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर दान का महत्व

इस तरह यह दिन एक नहीं बल्कि कई वजहों से खास है। इस दिन गंगा-स्नान,दीपदान,अन्य दानों आदि का विशेष महत्त्व है। इस दिन क्षीरसागर दान का अनंत महत्व है।क्षीरसागर का दान 24 अंगुल के बर्तन में दूध भरकर उसमें स्वर्ण या रजत की मछली छोड़कर किया जाता है। यह उत्सव दीपावली की भांति दीप जलाकर सायंकाल में मनाया जाता है।

हिंदू धर्म के अनुसार, माना जाता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा की छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त

मन्त्रोजाप

वसंतबान्धव विभो शीतांशो स्वस्ति नः कुरू'' चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।

कार्तिक पूर्णिमा का समय

पूर्णिमा को प्रातः 5 बजे से 10:30 मिनट तक मां लक्ष्मी का पीपल के वृक्ष पर निवास रहता है। इस दिन जो भी जातक मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाता है उस पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। सोमवार को प्रातः काल से ही भरणी नक्षत्र उपस्थित रहेगा जो शाम को 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। 4 बजकर 26 मिनट से कृतिका नक्षत्र शुरू हो जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा पर भरणी और कृतिका दोनों ही नक्षत्रों की उपस्थिति से इस बार गंगा स्नान और दान का महत्व अधिक है।