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108 अंक की महिमा क्‍यों खास है हिंदू धर्म में, यहां जानें

108 अंक का हिंदू धर्म में खास स्‍थान प्राप्‍ता है. 108 बार मंत्रों का जाप किया जाता है. दूसरी ओर रूद्राक्ष की माला में 108 मनके होते हैं. अब सवाल उठता है कि 108 अंक को हिंदू धर्म में इतना महत्व क्‍यों हासिल है.

Updated on: 10 Aug 2020, 04:51 PM

नई दिल्ली:

108 अंक का हिंदू धर्म (Hindu Religion) में खास स्‍थान प्राप्‍ता है. 108 बार मंत्रों का जाप किया जाता है. दूसरी ओर रूद्राक्ष (Rudraksha) की माला में 108 मनके होते हैं. अब सवाल उठता है कि 108 अंक को हिंदू धर्म में इतना महत्व क्‍यों हासिल है. हिंदू धर्मशास्‍त्रों की मानें तो 108 को शिव का अंक माना गया है. मुख्‍य शिवांगों की संख्या 108 होती है. गौड़ीय वैष्णव धर्म के अनुसार, वृंदावन में कुल 108 गोपियों का वर्णन किया गया है. 108 मनकों के साथ गोपियों के नाम का जाप करने पर विशेष फल मिलता है. विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों का जिक्र श्रीवैष्णव धर्म में मिलता है, जिसे 108 दिव्यदेशम कहते हैं.

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कम्बोडिया के अंकोरवाट मंदिर की नक्काशी में समुद्र मंथन को दिखाते हुए व्‍यक्‍त किया गया है कि क्षीर सागर पर मंदार पर्वत पर बंधे वासुकि नाग को 54 देव और 54 राक्षस (108) अपनी-अपनी ओर खींच रहे थे. दोनों की संख्‍या मिलकर 108 होती है.

ज्‍योतिषीय महत्‍व की दृष्‍टि से 108 अंक का विशेष स्‍थान है. ज्‍योतिष में कुल 12 राशियां होती हैं, जिनमें 9 ग्रह विचरण करते हैं. इन दोनों संख्‍याओं को गुणा करेंगे तो आपको 108 अंक मिलेगा.

हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध धर्म में भी 108 अंक की विशेष महत्‍ता है. बौद्ध धर्म में माना गया है कि व्यक्ति के भीतर 108 प्रकार की भावनाएं जन्म लेती हैं. लंकावत्र सूत्र में भी एक खंड है, जिसमें बोधिसत्व महामती, बुद्ध से 108 सवाल पूछते हैं. एक दूसरे खंड में बौद्ध 108 निषेधों को भी बताते हैं. बहुत से बौद्ध मंदिरों में सीढ़ियां भी 108 ही रखी गई हैं.

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जापान में बौद्ध धर्म के अनुयायी बीतते साल को अलविदा कहने और नव वर्ष के आगमन के लिए मंदिर की घंटियों को 108 बार बजाते हैं.