आश्चर्यचकित करने वाला है इस मंदिर का रहस्य, लटकते पत्थरों से हुआ निर्माण, देखने वाले रह जाते हैं दंग
मंदिर तो हमारे देश में बहुत हैं, लेकिन कभी आपने ऐसा मंदिर सुना है जो केवल पत्थरों से बनाया गया हो और हर पत्थर लटक रहा हो. बड़े-बड़े आंधी तूफान आए लेकिन इस रहस्यमयी मंदिर को हिला नहीं पाए.
मुरैना:
मंदिर तो हमारे देश में बहुत हैं, लेकिन कभी आपने ऐसा मंदिर सुना है जो केवल पत्थरों से बनाया गया हो और हर पत्थर लटक रहा हो. भले ही दुनिया के सात अजूबों में सिहोनिया का ककनमठ मंदिर शामिल न किया गया हो, लेकिन इस रहस्यमई मंदिर की खासियत यह है कि जो भी इसके बारे में सुनता है वह जरूर इसे देखना चाहता है. बड़े-बड़े आंधी तूफान आए लेकिन इस रहस्यमयी मंदिर को हिला नहीं पाए. बताया जाता है कि मुस्लिम शासकों ने इसे तोड़ने के लिए गोले तक दागे, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के बीहड़ों में बना सिहोनिया का ककनमठ मंदिर आज भी लटकते हुए पत्थरों से बना हुआ है.
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चंबल के बीहड़ में बना ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है. जैसे-जैसे इस मंदिर के नजदीक जाते हैं इसका एक एक पत्थर लटकते हुए भी दिखाई देने लगता है. जितना नजदीक जाएंगे मन में उतनी ही दहशत लगने लगती है. लेकिन किसी की मजाल है, जो इसके लटकते हुए पत्थरों को भी हिला सके. आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं, लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. मंदिर के बारे में कमाल की बात तो यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है, आस-पास के इलाके में ये पत्थर नहीं मिलता है.
इस मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतियां हैं. पूरे अंचल में एक किवदंती सबसे ज्यादा मशहूर है कि मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था. लेकिन मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग विराजमान है, जिसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि भगवान शिव का एक नाम भूतनाथ भी है. भोलेनाथ ना सिर्फ देवी-देवताओं और इंसानों के भगवान हैं बल्कि उनको भूत-प्रेत व दानव भी भगवान मानकर पूजते हैं. पुराणों में लिखा है कि भगवान शिव की शादी में देवी-देवताओं के अलावा भूत-प्रेत भी बाराती बनकर आए थे और इस मंदिर का निर्माण भी भूतों ने किया है.
शिव मंदिर ककनमठ की सीढ़ियां के पास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एक पत्थर पर इसका संक्षिप्त इतिहास लिखा है जिसमें बताया गया है कि ककनमठ मंदिर के नाम से विख्यात यह अद्भुत मंदिर भग्नानसेथा में भी अपनी मूर्ति शिल्प को संजोए हुए हैं, एक बड़े चबूतरे पर निर्मित इस मंदिर की वास्तु योजना में गर्भ ग्रह स्तंभ युक्त मंडप एवं आकर्षक मुख्य मंडप है, जिस में प्रवेश हेतु सामने की ओर सीढ़ियों का प्रावधान है. गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंग इस मंदिर के मुख्य देवता है. मंदिर के गर्भ गृह के ऊपर विशाल शिखर लगभग 100 फीट ऊंचा है जो अब जीर्णशीर्ण अवस्था में है.
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इस मंदिर के चारों ओर अन्य लघु मंदिरों का भी निर्माण किया गया था जिनके कुछ अवशेष देखे जा सकते हैं. मंदिर का नाम रानी ककनवती के नाम पर जाना जाता है जो संभवत कच्छपघात शासक कीर्ति राज की रानी थी जिस के आदेश पर ही इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था. मंदिर के बाहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लगे शिलालेख में पुख्ता तौर पर यह बात नहीं लिखी है कि मंदिर का निर्माण ककनवती ने ही करवाया था, शिला पर संभवत: शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिसके मायने ये हैं कि सिर्फ कही सुनी बातों के आधार पर इसे लिखा गया है. और कही सुनी बातें तो भूतों के द्वारा मंदिर का निर्माण भी बताया जाता है.
मंदिर निर्माण को लेकर जो किवदंतियां हैं, उनमें यह बताया जाता है कि कहीं दूर से खाली मैदान में पत्थर लाकर भूतों ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण कर दिया. इस मंदिर को देखकर यह भी लगता है कि इसका निर्माण अचानक छोड़ दिया गया हो. स्थानीय लोग बताते हैं मंदिर बनते-बनते सुबह होने से पहले ही कोई जाग गया था और उसने आटे की चकिया चलाने के लिए उसमें लकड़ी ठोकी जिसकी आवाज सुनकर मंदिर का निर्माण रात में ही छोड़ दिया गया और अधूरा छोड़कर ही भूत-प्रेत चले गए. गांव के लोग और पुरातत्व के जानकार लोगों का कहना है कि एक रात में यह मंदिर बन गया हो इस कहानी पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि मंदिर परिसर में इसके अवशेष ये देखकर यह लगता है कि मंदिर पहले भव्य बना था.
बताया जाता है कि इस मंदिर की परिक्रमा भी पत्थरों से पटी हुई थी, लेकिन मुस्लिम शासकों ने इस पर तोपों से हमला किया और तुड़वाने की कोशिश की लेकिन पूरा मंदिर तोड़ नहीं पाए. साथ ही जानकारों का यह भी कहना है कि जिस सदी का यह मंदिर बना है उसी काल में कई और भी मंदिर बने हैं. हां यह बात अलग है कि ककनमठ सबसे अद्भुत और रहस्यमई है. पूरे ककनमठ मंदिर परिसर में इसके चारों ओर टूटे-फूटे पत्थरों का जमावड़ा है. इसके बारे में भी दो तरह की कहानियां बताई जाती हैं कुछ लोग तो यह कहते हैं कि यह पत्थर मंदिर के निर्माण में लगना था लेकिन लग नहीं पाया और यह अधूरा रह गया.
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जबकि दूसरी जानकारी यह है कि मंदिर पहले भव्य बना हुआ था लेकिन आक्रमणों की वजह से इसे तोड़ा गया और टूटे हुए पत्थर इसके आसपास ही पड़े थे जिन्हें हटाकर अलग कर दिया गया है. देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले पर्यटक और दर्शनार्थी मंदिर के बारे में अलग-अलग कहानियां सुनते आ रहे हैं गुजरात के सूरत की रहने वाली वंदना का कहना है कि उन्हें यह बताया गया है कि इस मंदिर के परिसर में जितने भी पत्थर पड़े हैं कोई अगर उन्हें उठाकर ले जाता है तो मंदिर के दूसरे पत्थर हिलने लगते हैं जिससे जाने वाला भयभीत हो जाता है और वापस यहीं छोड़ जाता है.
मुरैना ज़िले के सिहोनिया गांव में बना ककनमठ मंदिर का निर्माण बड़े-बड़े पत्थरों से हुआ है. इस मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह के सीमेंट गाड़े का इस्तेमाल नहीं किया गया है. सभी पत्थर एक के ऊपर एक कतारबद्ध रखे हुए हैं. एक बार देखकर तो मन में यह सवाल उठता है कि कहीं यह गिर ना जाए लेकिन ये मंदिर वर्षों से अपने स्थान पर अडिग खड़ा है. अब ये मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन. ककनमठ मंदिर पर कोई पुजारी नहीं है और ना ही रात में यहां किसी को रोकने की अनुमति दी जाती है. पुरातत्व विभाग के कुछ गार्ड भी हैं जो रात होने के बाद गांव में जाकर रुकते हैं. इस मंदिर के प्रति लोगों में खौफ और दहशत शायद इन लटकते हुए पत्थरों की वजह से ही है.
कहा जाता है कि रात में यहां वो नजारा दिखता है, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी. ककनमठ मंदिर का इतिहास करीब एक हज़ार साल हजार पुराना है. बेजोड़ स्थापत्य कला का उदाहरण ये मंदिर पत्थरों को एक दूसरे से सटा कर बनाया गया है. मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े-बड़े तूफान और आंधी भी इसे हिला नहीं पाई. कुछ लोग यह मानते हैं कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो मंदिर की रक्षा करती है. इस मंदिर के बीचो बीच शिव लिंग स्थापित है. 120 फीट ऊंचे इस मंदिर का उपरी सिरा और गर्भ गृह सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है.
इस मंदिर को देखने में लगता है कि यह कभी भी गिर सकता है.. लेकिन ककनमठ मंदिर सैकडों सालों से इसी तरह टिका हुआ है यह एक अदभुत करिश्मा है. इसकी एक औऱ ये विशेषता है..कि इस मंदिर के आस पास के सभी मंदिर टूट गए हैं , लेकिन ककनमठ मंदिर आज भी सुरक्षित है. मुरैना में स्थित ककनमठ मंदिर पर्यटकों के लिए विशेष स्थल है. यहां की कला और मंदिर की बड़ी-बड़ी शिलाओं को देख कर पर्यटक भी इस मंदिर की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाते. मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमायें पर्यटकों को खजुराहो की याद दिलाती हैं. मगर प्रशासन की उपेक्षा के चलते पर्यटक यदा-कदा यहां आ तो जाते हैं.
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ककनमठ मंदिर की देखरेख अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कर रही है. अफसरों को भय था कि यदि मंदिर को छेड़ा गया, तो यह गिर सकता है, क्योंकि इसके पत्थर एक के ऊपर एक रखे हैं। इस कारण उन्होंने इसके संरक्षण कार्य से दूरी बना ली. सिर्फ एक ही रात में बना ऐसा मंदिर जहां रात में कोई नहीं रुकता ! न दरवाजे ना खिड़की सिर्फ पत्थर के ऊपर पत्थर रखकर बना मंदिर. देखने में भयभीत करने वाला. कभी भी गिरने का डर लेकिन सदियां गुजर गई आज तक नहीं गिरा. मंदिर के बारे में सच क्या है. ये तो ऊपरवाला ही जनता है. मगर बड़े बुजुर्ग कहते हैं, कि इस मंदिर का निर्माण रातों रात भूतो द्वारा किया गया है. अब ये कहानी है या हकीकत, लेकिन जो भी है बहुत अद्भुत है.
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