Pakistani Priest in Mahakumbh: महाकुंभ में परिवार संग आए पाकिस्तानी पुजारी, संगम स्नान के बाद हरिद्वार में 400 अस्थियों का करेंगे विसर्जन

Pakistani Priest in Mahakumbh: विश्वभर में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की चर्चा हो रही है. पड़ोसी देश पाकिस्तान से एक पुजारी 400 अस्थियां लेकर अपने परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाने पहुंचे हैं. क्या है पूरी खबर पढ़िए.

Pakistani Priest in Mahakumbh: विश्वभर में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की चर्चा हो रही है. पड़ोसी देश पाकिस्तान से एक पुजारी 400 अस्थियां लेकर अपने परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाने पहुंचे हैं. क्या है पूरी खबर पढ़िए.

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Inna Khosla
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Pakistani Priest in Mahakumbh

Pakistani Priest in Mahakumbh Photograph: (News Nation)

Pakistani Priest in Mahakumbh: महाकुंभ 2025 के अवसर पर, संगम में डुबकी लगाने के लिए पाकिस्तान के पुजारी परिवार सहित भारत आए हैं. हालांकि इस यात्रा का उनका एक और उद्देश्य भी है. इनका नाम रामनाथ मिश्रा है जो पाकिस्तान के कराची स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर और श्मशान घाट के मुख्य पुजारी हैं. वे पाकिस्तान में दिवंगत हुए 400 हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की अस्थियां भारत लाए हैं जिनका तर्पण और विसर्जन हरिद्वार में किया जाएगा.

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रामनाथ मिश्रा का परिवार लगभग 1,500 वर्षों से कराची के पंचमुखी हनुमान मंदिर की सेवा कर रहा है. उन्होंने मंदिर और श्मशान घाट के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे अब एक साथ 15 शवों का अंतिम संस्कार संभव हो सका है. 

पाकिस्तानी पुजारी की यात्रा का उद्देश्य

रामनाथ मिश्रा का मुख्य उद्देश्य इन अस्थियों का विधिपूर्वक तर्पण और गंगा में विसर्जन करना है, ताकि दिवंगत आत्माओं को मोक्ष प्राप्त हो सके. उन्होंने महाकुंभ में संगम स्नान के साथ अपने 9 वर्षीय पुत्र का उपनयन संस्कार भी संपन्न किया. 

अस्थि विसर्जन कैसे करेंगे?

21 फरवरी को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अस्थि कलशों का पूजन किया जाएगा. इसके बाद दिल्ली से हरिद्वार तक एक रथ यात्रा निकाली जाएगी. 22 फरवरी को हरिद्वार के सती घाट पर 100 लीटर दूध की धारा के साथ इन अस्थियों का गंगा में विसर्जन किया जाएगा. 

पाकिस्तान से आए पुजारी रामनाथ मिश्रा ने की अपील

रामनाथ मिश्रा ने भारत सरकार से पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं के लिए वीजा नियमों में ढील देने की अपील की है, ताकि वे आसानी से भारत आकर धार्मिक अनुष्ठान और तीर्थयात्रा कर सकें. रामनाथ मिश्रा की यह यात्रा धार्मिक आस्था, परंपरा और दो देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है, जो सीमाओं के पार मानवता और श्रद्धा को जोड़ती है.

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