Varuthini Ekadashi 2022 Puja Vidhi: वरुथिनी एकादशी के दिन इस विधि से करें विष्णु जी की पूजा, फल प्राप्त होगा तीन गुना
पंचांग के अनुसार वैशाख के महीने (vaishakh month 2022) में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2022) कहा जाता है. तो, जान लें इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की विधि (Varuthini Ekadashi 2022 Puja Vidhi) क्या है.
नई दिल्ली:
पंचांग के अनुसार वैशाख के महीने (vaishakh month 2022) में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2022) कहा जाता है. हिन्दू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व होता है. आमतौर पर साल में 24 एकादशी तिथि होती हैं. हर एकादशी का नाम और महत्व अलग होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान होता है. चैत्र के महीने के दिन पड़ने के चलते इसे वरुथिनी एकादशी कहा जाता है. माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु (Lord Vishnu) अपने प्रिय भक्तों की मनोकमनाएं सुनते हैं और उनके जीवन को सरल बनाते हैं.
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इस साल वरुथिनी एकादशी 26 अप्रैल के दिन (varuthini ekadashi 2022 date) मंगलवार को पड़ रही है. इसी दिन व्रत रखा जाएगा. इस एकादशी को कल्याणकारी एकादशी भी कहा जाता है. इसके साथ ही, धार्मिक विश्वासों के आधार पर भगवान विष्णु के छठे अवतार यानी कि वमन अवतार के बाद से इस दिन की पूजा शुरु हुई थी. ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी व्रत को रखने वाले भक्त जो कि पूरे मन से भगवान श्री विष्णु की पूजा करते हैं. उन्हें भगवान की कृपा से सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन योग में किए गए शुभ कार्यों का फल तीन गुना प्राप्त होता है. वरुथिनी एकादशी व्रत (varuthini ekadashi 2022 vrat) रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. तो, चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन की पूजा की विधि क्या है.
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वरुथिनी एकादशी पूजा विधि (varuthini ekadashi 2022 puja vidhi)
वरुथिनी एकादशी कई तरह से अलग होती है. इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इसके साथ ही फलाहार का भोजन किया जाता है, जल नहीं पिया जाता.
इस दिन की शुरुआत सुबह स्नान के बाद निवृत्त होकर व्रत शुरू किया जाता है.
माना जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा (Vishnu Puja) में अक्षत, तुलसी, दीपक आदि का उपयोग होता है. कई भक्त इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी करते हैं.
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रात होने पर भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी (Lakshmi Mata) की पूजा करना भी शुभ माना जाता है.
एकादशी के व्रत का पारण मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए ही अगले दिन यानि द्वादिशी पर होता है.
इस एकादशी (Ekadashi) पर मांस या मसूर की दाल को खाना अच्छा नहीं माना जाता है. इसके साथ ही व्रत के दौरान ये भी माना जाता है कि पान, दातुन, तेल, नमक व अन्न का सेवन मना है.
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