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Geeta Updesh: गीता के ये पांच उपदेश अपनाएं, जीवन में सही मार्ग और शांति पाएं

भगवान कृष्ण के इस युद्ध में अर्जुन को दिए गए उपदेश को ही गीता ज्ञान कहा जाता है. जिसे हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता (shrimadbhagvadgita) के नाम से भी जाना जाता है. इन्हीं में से हम आपको कुछ ऐसे पांच उपदेश (Gita updesh) बताने जा रहे हैं.

Updated on: 24 Aug 2022, 01:40 PM

नई दिल्ली:

कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत (mahabharata) के युद्ध के बारे में तो सभी जानते हैं. इस युद्ध में भगवान कृष्ण (lord krishna) ही अर्जुन के सारथी बने थे. वहीं जब अर्जुन के सामने अपने सगे भाई और गुरु, युद्ध मैदान में आए तो अर्जन उन्हें देखकर विचलित हो गए. भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेस दिए थे. भगवान कृष्ण के इस युद्ध में अर्जुन को दिए गए उपदेश को ही गीता ज्ञान कहा जाता है. जिसे हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता (shrimadbhagvadgita) के नाम से भी जाना जाता है. इन्हीं में से हम आपको कुछ ऐसे पांच उपदेश (Gita updesh) बताने जा रहे हैं. जो आपके जीवन में काम आएंगे.

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मन पर नियंत्रण रखना -

ऐसा कहा जाता है कि इस पृथ्वी पर मन की गति सबसे तेज होती है. इसलिए, हर इंसान को अपने मन को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी होता है. इसके साथ ही बच्चों को भी ये सिखाना बेहद जरूरी है कि अपने मन पर सदैव (control on mind) काबू रखें.

आत्म मंथन जरूर करें -

हर इंसान को सफल जीवन और किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना करने के लिए आत्म मंथन जरूर करना चाहिए. आत्म ज्ञान से ही लोग अपने अंदर के अज्ञान को खत्म कर सकते हैं. इसके साथ ही, सही और गलत की भी पहचान कर सकते हैं.   

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गुस्से पर काबू रखना -

ये ना सिर्फ एक कहावत है बल्कि कुरुक्षेत्र में भी भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका गुस्सा होता है. गुस्से में इंसान की बुद्धि काम करना बंद कर देती है. वह यह समझ ही नहीं पाता कि वह क्या कर रहा है. ऐसे में वह अपनी खुद की हानि कर लेता है. इसलिए अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है.   

अभ्यास करते रहें -

गीता में भगवान कृष्ण का एक उपदेश ये भी है कि मनुष्य को सदैव अभ्यास करते रहना चाहिए. अभ्यास करने से मनुष्य का जीवन आसान हो जाता है. ऐसे में यदि किसी इंसान का मन अशांत है तो, उसे नियंत्रित करने का अभ्यास ही सबसे अच्छा मार्ग है. 

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कर्म करें, फल की इच्छा न करें -  

जब युद्ध में अर्जुन विचलित हो गए थे. तब, श्री कृष्ण ने कहा था कि हर मनुष्य को कर्म करना चाहिए, फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए. जैसा आपका कर्म होगा, ईश्वर आपको उसके अनुरूप ही फल देंगे. यदि आप काम के पहले ही परिणाम की अपेक्षा करेंगे तो आपका मन भ्रमित हो जाएगा और आप अपना कर्म ठीक से (Success Mantra In Gita) नहीं कर पाएंगे.