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Raksha Bandhan 2022 Bhadra Utpatti: रक्षाबंधन पर मंडराएगा भद्रा का साया, जानें कैसे हुई इसकी उत्पत्ति

हर साल रक्षाबंधन (raksha bandhan 2022 bhadra utpatti) का पर्व श्रावण महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसे राखी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं.

Updated on: 09 Aug 2022, 12:46 PM

नई दिल्ली:

रक्षाबंधन (raksha bandhan 2022) का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जा रहा है. ये पर्व भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल रक्षाबंधन का पर्व श्रावण महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसे राखी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं. इस दौरान बहन-भाई एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और उपहार भी देते हैं. ये हिंदुओं (raksha bandhan 2022 niyam) के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. 

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इस दिन अंगकारक योग 10 अगस्त तक मेष राशि में रहेगा और 11 अगस्त यानी अगले ही दिन रक्षाबंधन का पर्व है. सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को प्रातः 10:38 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो 12 अगस्त को प्रातः 07:06 बजे तक रहेगी. लेकिन जब सावन पूर्णिमा शुरू हो रही है तो भद्रा भी पड़ रही है जो 11 अगस्त की रात 8:35 बजे तक रहेगी. इसी वजह से अंगकारक योग के कारण रक्षाबंधन तक 4 राशि वालों को बहुत संभलकर (Raksha Bandhan 2022 effect on rashi) रहने की जरूरत है.         

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कैसे हुई भद्रा की उत्पत्ति -

पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों को मारने के लिए सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया से गर्दभ (गधा) के मुख और लंबी पूंछ और तीन पैर युक्त भद्रा उत्पन्न हुई. जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न पहुंचाने लगी और मंगल-कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी. तब, सूर्यदेव के कहने पर ब्रह्मा जी ने भद्रा को बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में विष्टि करण के रूप में स्थान दिया और कहा जो व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश तथा अन्य मांगलिक कार्य करे, तो तुम उन्हीं में विघ्न डालो, जो तुम्हारा (raksha bandhan 2022 bhadra utpatti) आदर न करे, उनका कार्य बिगाड़ो.