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Hindu New Year 2022: हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2079 से जुड़ा है गणित का शुरुआती इतिहास... जानें भगवान राम के लिए कैसे बना ये साल खास और आज के दिन की पूर्ण पूजा विधि

आज हम आपको हिन्दू नव वर्ष का दिलचस्प गणित, संपूर्ण पूजा विधि और भगवान राम के लिए क्यों ये साल ख़ास है- इससे जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं. इसके साथ ही इस बार हिन्दू नव वर्ष के शुभ नाम के बारे में भी बताएंगे.

Updated on: 02 Apr 2022, 11:16 AM

नई दिल्ली :

Hindu New Year 2022: आज यानी कि 2 अप्रैल 2022 से हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत 2079 (Hindu Nav samvatsar 2079) की शुरुआत हो चुकी है. हिंदुओं के इस नववर्ष की शुरूआत हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पहले दिन से होती है. वहीं, इसी के साथ चैत्र नवरात्रि 2022 (Chaitra Navratri 2022) और मराठियों का नया साल यानी कि गुड़ी पड़वा 2022 (Gudi Padwa 2022) भी शुरू हो चुका है. ऐसे में आज हम आपको हिन्दू नव वर्ष का दिलचस्प गणित, उसका असली नाम, संपूर्ण पूजा विधि और भगवान राम के लिए क्यों ये साल ख़ास है- इससे जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं. इसके साथ ही ये भी बताएंगी कि पांडवों के लिए हिन्दू नव वर्ष कैसे बना ऐतिहासिक साल.

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हिन्दू नव वर्ष का गणित (Hindu New Year 2022 Mathematics)
संवत्सर का अर्थ है सम+वत्सर यानि पूर्ण वर्ष. संवत्सर अर्थात बारह महीने की कालविशेष अवधि. बृहस्पति के राशि बदलने से इसका आरंभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माजी ने इस दिन सम्पूर्ण सृष्टि और लोकों का सृजन किया था. इसी दिन भगवान विष्णु का मत्स्यावतार (Lord Vishnu) भी हुआ था. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार संवत के 5 भेद होते हैं, सौर, सावन, चांद्र, बार्हस्पत्य और नाक्षत्र. एक संवत में 12 मास होते हैं. चैत्र से फाल्गुन तक इनका क्रम निश्चित है. एक संवत में 6 ऋतुएं होती हैं. कुल 60 संवत होते हैं. इनका प्रारम्भ प्रभव से होता है और अंत अक्षय पर. अलग अलग धर्म संप्रदायों के अनुसार संवत्सर होते हैं जैसे शक संवत (प्रतिवर्ष 22 मार्च से, इसे अब राष्ट्रीय संवत भी कहते हैं), बंगला संवत, हिजरी संवत. ईसाई धर्म के लोग ईसवी सन मनाते हैं, जो जनवरी से दिसंबर तक रहता है. 

सम्राट विक्रमादित्य ने की थी शुरुआत (Samrat Vikramaditya Started Celebrating Hindu New Year)
भारत में विक्रमी संवत, जिसे उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने 2000 वर्ष पूर्व शुरू किया, जो चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होता है. इसे सभी सनातन धर्म के मानने वाले नव वर्ष के रूप में मनाते हैं. इसे गुड़ी पड़वा भी कहते हैं. इसी दिन से नया पंचाग शुरू होता है और ज्योतिष की गणना के अनुसार देश, राज्य के समस्त विषयों की भविष्यवाणी, लोक व्यवहार, विवाह अन्य संस्कारों और धार्मिक अनुष्ठानों की तिथियां निर्धारित की जाती हैं.

हिन्दू नव वर्ष का नामकरण (Hindu Nav Varsh Naming)
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार इस नव संवत्सर 2079 का नाम 'नल' होगा जिसके स्वामी शुक्रदेव होते हैं. इस नवसंवत्सर के राजा शनि और मंत्री गुरु होंगे.

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भगवान राम और पांडवों के लिए क्यों खास है हिन्दू नव वर्ष (Why Hindu Nav Varsh is Important for Bhagwan Ram and Pandav)
हिन्दू नव वर्ष के समय ही प्रकृति बदलाव के संकेत वृक्षों पर पतझड़ के बाद नए पत्ते आने के साथ देती है. चारों तरफ अनेक प्रकार के फूल खिलते हैं. ऐसा लगता है मानो हरियाली भी नववर्ष मना रही है. फसल पकने के बाद नया अनाज बाजार में आता है. शक्ति और भक्ति के प्रतीक नवरात्र इसी दिन से प्रारंभ होते हैं. सम्पूर्ण वातावरण आनंदमय और आध्यात्मिक प्रतीत होता है. इसके अतिरिक्त, भगवान राम और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था. 

60 संवत्सरों के नाम (Name of 60 Samvatsars)
संवत्सर को वर्ष कहते हैं. प्रत्येक वर्ष का अलग नाम होता है. कुल 60 वर्ष होते हैं तो एक चक्र पूरा हो जाता है. इनके नाम इस प्रकार हैं:- प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति, अंगिरा, श्रीमुख, भाव, युवा, धाता, ईश्वर, बहुधान्य, प्रमाथी, विक्रम, वृषप्रजा, चित्रभानु, सुभानु, तारण, पार्थिव, अव्यय, सर्वजीत, सर्वधारी, विरोधी, विकृति, खर, नंदन, विजय, जय, मन्मथ, दुर्मुख, हेमलम्बी, विलम्बी, विकारी, शार्वरी, प्लव, शुभकृत, शोभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव, प्ल्वंग, कीलक, सौम्य, साधारण, विरोधकृत, परिधावी, प्रमादी, आनंद, राक्षस, नल, पिंगल, काल, सिद्धार्थ, रौद्रि, दुर्मति, दुन्दुभी, रूधिरोद्गारी, रक्ताक्षी, क्रोधन और अक्षय.

संवत्सर पूजन विधि (Hindu New Year Puja Vidhi)
- इस दिन गणेशजी, ब्रह्माजी, सृष्टि के प्रधान देवी देवताओं, यक्ष, गंधर्व, ऋषि मुनियों, पंचांग, ज्योतिषियों, ब्राह्मण, वेद पुराण, धर्म शास्त्र, न्याय शास्त्र, प्रकृति, औषधियों इत्यादि की पूजा की जाती है.
- प्रत्येक घर पर लोग अपने अपने संप्रदायों के अनुसार ध्वज आदि लगाते हैं.
- घरों को दिवाली पर्व के समान ही सजाया जाता है. 
- वस्त्र आभूषण आदि पहनकर उत्सव के रूप में मनाते हैं. 
- पूजन के समय, घटस्थापना के पश्चात नवीन पंचांग से वर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्यक्ष, धनेश, धान्यादि, मेघेश, संवत्सर निवास आदि की गणना की जाती है.
- आज के दिन घर के मंदिर को सजाते हैं और अगर आपके घर में मूर्ती पूजा है तो भगवान कि मूर्ती का श्रृंगार करने का भी विधान है. 
- प्रातः सूर्य देव को जल अर्पित करना विशेष और शुभ माना जाता है. 

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ग्रहों का मंत्री मंडल (Cabinet Of Planets)
इस बार हिन्दू नववर्ष के राजा शनि और मंत्री गुरु होंगे. इसके अलावा, सस्येश-सूर्य, दुर्गेश-बुध, धनेश-शनि, रसेश-मंगल, धान्येश-शुक्र, नीरसेश-शनि, फलेश-बुध, मेघेश-बुध रहेंगे. वहीं संवत्सर का निवास कुम्हार का घर और समय का वाहन घोड़ा है. इस बार माता रानी भी नवरात्र पर दर्शन देने घोड़े पर ही आने वाली हैं. 

संवत्सर प्रभाव (Samvatsar Positive and Negative Effects)
- जिस वर्ष समय का वाहन घोड़ा होता है उस वर्ष तेज गति से वायु, चक्रवात, तूफान, भूकंप भूस्खलन आदि की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा मानसिक बैचेनी भी बढ़ने के साथ ही तेज गति से चलने वाले वाहनों के क्षतिग्रस्त होने की भी संभावना में भी वृद्धि हो जाती है. 

- वहीं 29 अप्रैल को शनि के इस बड़े राशि परिवर्तन यानि कुंभ राशि में प्रवेश के साथ ही मकर, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती के अलग-अलग चरण शुरू हो जाएंगे. इस समय कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा, मकर पर तीसरा और मीन राशि पर पहला चरण शुरू हो जाएगा.

- जबकि कर्क व वृश्चिक राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या शुरु हो जाएगी. शनि के राशि परिवर्तन होने से धनु राशि से साढ़ेसाती और मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि की ढैय्या खत्म हो जाएगी. जिसके चलते इनके जीवन में परेशानियां काफी हद तक कम हो जाएंगी.

- इस नव संवत्सर 2079 न्याय के देवता शनि जहां सुख और समृद्धि दिलाएंगे, वहीं जीवन के कर्म का फल भी प्रदान करेंगे, इसीलिए सतर्कता भी जरूरी है. दरअसल नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी मानते हैं. इस वर्ष का प्रथम दिन शनिवार को है और इसके देवता शनि है. इसके अलावा नवसंवत्सर के पहले ही दिन चंद्र देव भी अपनी राशि में परिवर्तन करेंगे. 

- इस नवसंवत्सर 2079 में अच्छी बारिश के योग दिख रहे हैं, जिसके चलते फसलों के लिहाज से इस दौरान अच्छी बारिश होगी.

- सुख समृद्धि के साथ आर्थिक मजबूती और व्यापार बढ़ाने वाला साल
1. इस बार नव वर्ष की शुरुआत सरल, सत्कीर्ति और वेशि राजयोगों में हो रही है. इससे नवरात्र में खरीदारी लेन-देन निवेश और नए कामों की शुरुआत शुभ रहेगी.  

2. इन योगों का शुभ फल पूरे साल दिखेगा।देश के लिए सुख समृद्धि के साथ आर्थिक मजबूती और व्यापार बढ़ाने वाला रहेगा.

3. रेवती नक्षत्र और बुध से बड़े लेन-देन व निवेश के लिए पूरा साल शुभ रहेगा.

4. प्रॉपर्टी के कारोबार में तेजी आएगी. वृहस्पति के कारण खरीदारी से सुख-समृद्धि बढ़ेगी.