Garud Puran : मृत्यु एक दिन सबके जीवन में आती है. लेकिन हर किसी के जीवन का अंत अलग-अलग तरह से होता है. मृत्यु के दौरान किसी का चेहरा टेढ़ा हो जाता है, तो किसी की आंखें उल्टी हो जाती हैं. ऐसे कई संकेतों से व्यक्ति के कर्मों को समझा जाता है, इस लेख में हम गरुड़ पुराण के अनुसार जानेंगे कि मृत्यु के समय शरीर के किस अंग से प्राण निकलते हैं...
गरुड़ पुराण के 16वें अध्याय के प्रेत खंड के अनुसार, व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा नौ छिद्रों से शरीर से बाहर निकलती है. ये नौ छिद्र हैं दो आंखें, दो नासिका छिद्र, दो कान के छिद्र, मुंह सहित मल, मूत्र द्वार है. इन नौ छिद्रों से मिलने वाले संकेत आत्मा के बाहर निकलने का संकेत देते हैं. व्यक्ति के कर्म और उसकी मृत्यु की प्रकार से पता चलता है कि वह नरकी प्राणी था या फिर ऊर्धगामी था...
ऐसे निकलते हैं पापी व्यक्ति के प्राण
गरुड़ पुराण के अनुसार जो लोग पापी होते हैं, हमेशा अपने और अपने परिवार के बारे में ही चिंतित रहते हैं, धन के लोभ और वासना में लिप्त रहते हैं, लोक कल्याण, सामाजिक मैत्री और मानवीय नैतिक मूल्यों से दूर रहते हैं, ऐसे लोग नरकगामी होते हैं. ऐसे पापियों की आत्मा मल-मूत्र के माध्यम से बाहर निकलती है.
मुंह से प्राण निकलना शुभ होता है
ऐसा माना जाता है कि जो लोग जीवन भर धर्म के रास्ते पर चलते हैं, उनके प्राण मुख के माध्यम से निकलते हैं. और मुख टेढ़ा हो जाता है. मुख के रास्ते प्राण निकालना बहुत शुभ माना जाता है.
नाक से प्राण निकलना शुभ होता है
जिस व्यक्ति ने सामाजिक समरसता बनाए रखी है और जिसका मन तपस्वी है, उसके प्राण नाक के रास्ते निकल जाते हैं. इस तरह से मृत्यु को शुभ माना जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)