Chandra Grahan 2025: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में लगेगा या नहीं? जानें

साल 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण 7-8 सितंबर की रात को लगेगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जिसे ब्लड मून कहा जाता है. भारत में यह पूरी तरह दिखाई देगा, इसलिए यहां सूतक काल भी मान्य होगा.

साल 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण 7-8 सितंबर की रात को लगेगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जिसे ब्लड मून कहा जाता है. भारत में यह पूरी तरह दिखाई देगा, इसलिए यहां सूतक काल भी मान्य होगा.

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Deepak Kumar
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purna chandra grahan Blood moon 2025

Blood moon 2025 Photograph: (News Nation)

इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात को लगेगा. इसे लोग ब्लड मून के नाम से भी जानते हैं. आपको बता दें कि इस दिन भाद्रपद पूर्णिमा होगी और रात 9:58 बजे से ग्रहण की शुरुआत होगी. चंद्रमा जब पृथ्वी की छाया से गुजरेगा तो उसका रंग लाल और नारंगी दिखाई देगा. यही कारण है कि इसे ब्लड मून कहा जाता है. यह ग्रहण 80 मिनट तक चलेगा और 8 सितंबर की रात 1:26 बजे खत्म होगा. खास बात ये है कि भारत में यह पूरी तरह से दिखेगा और इसलिए यहां सूतक काल भी मान्य होगा.

सूतक काल और धार्मिक महत्व

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण लगने से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. इस दौरान पूजा-पाठ, नए काम की शुरुआत या किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित माना जाता है. जैसे ही ग्रहण समाप्त होगा, सूतक काल का प्रभाव भी खत्म हो जाएगा.

कब और कहां दिखेगा ब्लड मून

जानकारी के अनुसार, भारत में लोग रात करीब 11:00 बजे से ब्लड मून का नजारा देख सकेंगे. 11:42 बजे चंद्रमा अपने सबसे शानदार रूप में नजर आएगा. देश के लगभग सभी हिस्सों से यह खगोलीय घटना साफ दिखाई देगी. उत्तर भारत में दिल्ली, लखनऊ, जयपुर और चंडीगढ़; पश्चिम भारत में मुंबई, पुणे और अहमदाबाद; दक्षिण भारत में चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु और कोच्ची; पूर्वी भारत में कोलकाता, गुवाहाटी और भुवनेश्वर; वहीं मध्य भारत में भोपाल, नागपुर और रायपुर जैसे शहरों में इसे देखा जा सकेगा.

पूरी दुनिया के लिए खास मौका

भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में लोग इस खगोलीय नजारे को देख पाएंगे. उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी क्षेत्र, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी हिस्से, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और यहां तक कि आर्कटिक-अंटार्कटिका तक भी यह ग्रहण दिखाई देगा.

यह खगोलीय घटना वैज्ञानिकों और खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए बेहद खास मानी जा रही है. ऐसा मौका अक्सर नहीं आता जब पूरा चांद लाल आभा में डूबा हुआ नजर आए. धार्मिक दृष्टि से भी यह ग्रहण महत्वपूर्ण है. कुल मिलाकर 7 और 8 सितंबर की रात को आसमान का यह दृश्य लोगों को मंत्रमुग्ध कर देगा.


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