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Pitru Paksha 2025 (Freepik)
पितृपक्ष की शुरुआत एक दिन बाद हो जाएगी. 15 दिन तक श्राद्ध चलेंगे. ये दिन पितरों को समर्पित है. इस दौरान, लोग अपने पूर्वजों याद करते हैं. उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों को जल अर्पित किया जाता है, इससे पितृ खुश होते हैं और वे आपको आशीर्वाद देते हैं. आइये इस बारे में जानते हैं.
पितरों को जल चढ़ाने का नियम
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- दोपहर का समय तर्पण के लिए सबसे उत्तम माना जाता है.
- दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करते समय मुख करें. दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा कहा जाता है.
- तर्पण करते समय जनेऊ को दाएं कंधे पर रखें. अगर आप जनेऊ नहीं पहनते, तो शरीर के ऊपरी हिस्से को कपड़े से ढकें.
- तर्पण के लिए एक तांबे का पात्र लें, जिसमें जल, दूध, काले तिल और जौ मिलाएं. अंजलि बनाकर तीन बार जल अर्पित करें और हर बार मंत्र का जाप करें.
- इस दौरान पवित्रता का पूरा ख्याल रखें.
(किसी जानकार पुरोहित से अच्छी तरह पितृ पक्ष के हर एक अनुष्ठान की जानकारी लें और उसके बाद ही अनुष्ठान करें. )
पूजा मंत्र
- ॐ पितृभ्यः नमः
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय.
तर्पण का समय
- कुतुप मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक.
- रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से 01 बजकर 34 मिनट तक.
- अपराह्न काल- दोपहर 01 बजकर 34 मिनट से 04 बजकर 04 मिनट तक.
(वैदिक पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष में कुतुप काल तर्पण करने के लिए सबसे उत्तम समय होता है.)
इन बातों का रखें ध्यान
- पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ काम जैसे- विवाह, गृहप्रवेश आदि करने से बचें.
- लहसुन और प्याज का घर में उपयोग न करें.
- सात्विक भोजन ही पितरों को अर्पित करें.
- तर्पण करने के बाद कौवे, गाय और कुत्ते को भोजन जरूर करवाएं. पितरों का इन्हें प्रतीक माना जाता है.
- अगर हो सके तो किसी पवित्र नदी के पास तर्पण करें.
DISCLIAMER-
इस लेख में बताए गए उपाय, लाभ और सलाह सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं. ये जानकारी सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर है. न्यूजनेशन, खबर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता.