Baba Bageshwar Dhirendra Shastri: बाबा ने बताया कि उनके अस्पताल निर्माण का विचार नया नहीं है, बल्कि यह सपना वे पिछले पांच सालों से देख रहे थे. अब भूमि पूजन हो चुका है और निर्माण कार्य शुरू हो गया है.
Baba Bageshwar Dhirendra Shastri: आध्यात्मिक जगत से जुड़ी चर्चित हस्ती ने हाल ही में अपने एक साक्षात्कार में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि 'जान लेना ज्ञान है, और उसे प्रकट कर देना विज्ञान है.' उनका मानना है कि जब तक व्यक्ति किसी चीज़ को समझ नहीं लेता, तब तक वह उसे सिद्ध भी नहीं कर सकता. इसी सोच के तहत उन्होंने अब पैरानॉर्मल यानी परालौकिक विज्ञान पर पीएचडी करने का निर्णय लिया है.
वर्षों से दूर कर रहे मानसिक परेशानियां
बाबा ने बताया कि वे वर्षों से अपने गुरु की कृपा से अनेक लोगों की नकारात्मक ऊर्जा और मानसिक परेशानियों का निवारण करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि 'हनुमान चालीसा और वैदिक उपायों के माध्यम से हम लोगों की राह दिखाते हैं.' लेकिन अब वे इन आध्यात्मिक अनुभवों को वैज्ञानिक दृष्टि से भी समझना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'हम यह जानना चाहते हैं कि विज्ञान इन परालौकिक अनुभवों को कैसे देखता है, ताकि दोनों दृष्टिकोणों को एक साथ समझा जा सके.'
बाबा का कहना है कि वे जल्द ही कैंब्रिज या ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पैरानॉर्मल साइंस में शोध करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे पास गुरु कृपा तो है, लेकिन पढ़े-लिखे लोगों के लिए कागज़ी डिग्री भी जरूरी है.'
आधुनिक चिकित्सा पर भी है विश्वास
साक्षात्कार के दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल अध्यात्म पर नहीं, बल्कि आधुनिक चिकित्सा पर भी विश्वास रखते हैं. बाबा ने कहा, 'हम मंदिर में आकर लोगों की पीड़ा दूर करने की कोशिश करते हैं, लेकिन साथ ही अस्पताल बनाने का सपना भी देख रहे हैं.' उनके अनुसार, 'दुआ और दवा दोनों जरूरी हैं. अगर अस्पताल में ठीक न हो तो मंदिर जाइए, और मंदिर में न हो तो अस्पताल जाइए.'
पिछले 5 साल से देख रहे अस्पताल निर्माण का सपना
बाबा ने बताया कि उनके अस्पताल निर्माण का विचार नया नहीं है, बल्कि यह सपना वे पिछले पांच सालों से देख रहे थे. अब भूमि पूजन हो चुका है और निर्माण कार्य शुरू हो गया है. उनका संदेश स्पष्ट है कि अध्यात्म और विज्ञान विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं. जिस तरह हनुमान जी ने लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाकर चिकित्सा और आस्था दोनों का उदाहरण प्रस्तुत किया, उसी तरह आज के युग में भी श्रद्धा और विज्ञान का संतुलन आवश्यक है.
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