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Shiv Ji Ki Aarti( Photo Credit : NEWS NATION)
Shiv Ji Ki Aarti: रवि प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत के दिन पूजा-पाठ के साथ भक्त व्रत भी रखते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सही विधि और पूजा करने से शिव जी अपने भक्तों पर आने वाले सभी कष्टों और संकटों का दूर करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव जी की पूजा करने के बाद उनकी आरती अवश्य पढ़नी चाहिए? जी हां, ऐसी मान्यता है कि शिव जी की पूजा के बाद आरती करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि बिना आरती के किसी भी देवी-देवती की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. यहां पढ़िए शिव जी की पूरी आरती.
रवि प्रदोष व्रत के दिन करें शिव जी की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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Source : News Nation Bureau