logo-image

Shantinath Bhagwan Aarti: शांतिनाथ भगवान की रोजाना करेंगे ये आरती, आध्यात्मिक ज्ञान की होगी प्राप्ति

शांतिनाथ भगवान (shantinath bhagwan) जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर हैं. जो लोग रोजाना इनकी आरती (shantinath bhagwan aarti) करते हैं उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है. अगर उनकी इस आरती को रोज किया जाए तो इससे उनका चित्त प्रसन्नता से भर जाता है.

Updated on: 28 Apr 2022, 10:56 AM

नई दिल्ली:

शांतिनाथ भगवान (shantinath bhagwan) जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर है. जो इंसान श्रद्धाभाव से भगवान शांतिनाथ की आरती (shantinath bhagwan 16th trithankar aarti) रोज करते हैं उन्हें सांसारिक वैभव की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही उनका हृदय भी पवित्र हो जाता है. यही पवित्र हृदय आगे चलकर आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति करता है और संसार-चक्र से मुक्त हो जाता है. अगर उनकी इस आरती को रोज किया जाए तो ये चित्त को प्रसन्नता से भर देता है. इसके साथ ही सभी शंकाओं और भय का विनाश करता है और बल-विद्या-वैभव (shantinath bhagwan ji aarti) देता है. 

यह भी पढ़े : Shantinath Bhagwan Chalisa: शांतिनाथ भगवान की पढ़ेंगे ये चालीसा, हृदय हो जाएगा पवित्र और मन प्रसन्नता से भर जाएगा

शांतिनाथ भगवान की आरती (shantinath bhagwan aarti lyrics)

जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।

मन वच तन से, तुमको वन्दु 
जय अन्तरयामी प्रभु जय अन्तरयामी
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।

गर्भ जनम जब हुआ आपका
तीन लोक हर्षे स्वामी तीन लोक हर्षे
इन्द्र कियो अभिषेक शिखर पर 
शिव मग के स्वामी बोलो शिव मग के स्वामी
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।

पंचम चक्री भये आप ही
षट खंड के स्वामी, प्रभु षट खंड के स्वामी
राज विभव के भोगे प्रभु जी 
कामदेव नामी, बोलो कामदेव नामी
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।

अतुल विभव को तृणवत त्यागे 
हुए कर्म नाशी प्रभुजी, हुए कर्म नाशी
भये आप तीर्थंकर प्रभु जी 
शिव रमणी स्वामी, बोलो शिव रमणी स्वामी
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।

वीर सिंधु को नमस्कार कर 
आरती करू थारी, प्रभु आरती करू थारी
सूरज शिवपुर पावो प्रभु जी
महा सोख्य धारी बोलो महा सोख्य धारी
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।

मन वच तन से, तुमको वन्दु 
जय अन्तरयामी प्रभु जय अन्तरयामी
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी ।