अफगानिस्तान में तालिबान की जीत अभी अधूरी, नाक का नासूर बना ये प्रांत

अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबानी राज की वापसी हो गई है. लगभग पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है, फिर भी उसके माथे पर बल पड़ा हुआ है. एक इलाका ऐसा भी है, जो उसकी हुकूमत से परे है. इस इलाके पर कब्जा करना तालिबान का सपना रहा है, जो अब तक

अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबानी राज की वापसी हो गई है. लगभग पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है, फिर भी उसके माथे पर बल पड़ा हुआ है. एक इलाका ऐसा भी है, जो उसकी हुकूमत से परे है. इस इलाके पर कब्जा करना तालिबान का सपना रहा है, जो अब तक

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
taliban1

अफगानिस्तान में तालिबान की जीत अभी अधूरी( Photo Credit : फाइल फोटो)

अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबानी राज की वापसी हो गई है. लगभग पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है, फिर भी उसके माथे पर बल पड़ा हुआ है. एक इलाका ऐसा भी है, जो उसकी हुकूमत से परे है. इस इलाके पर कब्जा करना तालिबान का सपना रहा है, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया. आखिर क्या है इस इलाके की खासियत और क्यों है यहां तालिबान का विरोध? अफगानिस्तान में तालिबान के नाक का नासूर है– पंजशीर. दशकों से तालिबान के विरोध का प्रतीक रहा है- पंजशीर प्रांत. काबुल से डेढ़ सौ किलोमीटर उत्तर में स्थित पंजशीर, उत्तर में पंजशीर की पहाड़ियों से और दक्षिण में कुहेस्तान की पहाड़ियों से घिरा है. सालों भर बर्फ से ढंके रहने वाले पंजशीर की भौगोलिक हालत ने उसे अजेय दुर्ग बना दिया है. 

Advertisment

यह भी पढ़ें : यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस तैयार, प्रियंका गांधी की नई रणनीति

कठिनाइयों ने पंजशीर की आबादी प्राकृतिक रूप से जुझारू बना दिया है. उन्हें 1980 के दशक में अमेरिका ने सोवियत रूस के खिलाफ हथियारों से लैस किया. तब उसे पाकिस्तान से आर्थिक मदद मिलती थी. 1990 के दशक में तालिबान का शासन आने के बाद नॉर्दन एलायंस ने यहीं से विरोध की कमान संभाली. इस बार ईरान, रूस और भारत ने पंजशीर को आर्थिक मदद पहुंचाई. 2001 में तालिबान का तख्तापलट करने में पंजशीर स्थित नॉर्दर्न एलायंस ने अमेरिका की भरपूर मदद की थी.

लेकिन इसका इनाम विकास के रूप में पंजशीर को नहीं मिल पाया. पिछले 20 सालों में इतना ही हुआ कि प्रांत के कई इलाकों में पक्की सड़कें बन गईं और एक रेडियो टावर लग गया. 7 जिलों वाले पंजशीर प्रांत के कई गांवों में अब तक बिजली और पानी की सप्लाई नहीं है, जबकि यहां विकास की अपार संभावनाएं हैं. ये इलाका दुनिया के सबसे बेहतरीन किस्म के पन्ना का गढ़ है, जो अभी तक अनछुए हैं. पन्ना की खुदाई शुरू हुई तो काफी संभावना है कि पंजशीर विकास के मानकों में कई पायदानों पर अव्वल रहेगा. 

यह भी पढ़ें : शी चिनफिंग ने छठे पूर्वी आर्थिक मंच के उद्घाटन समारोह में भाग लेकर भाषण दिया

ताजिक समुदाय बहुल पंजशीर पर तालिबान कभी कब्जा नहीं कर पाया. 90 के दशक में उत्तरी अफगानिस्तान के ज़्यादातर हिस्से तालिबान की पहुंच से बाहर थे, लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं. इस बार तालिबान काफी ताकतवर बनकर उभरा है. उत्तरी अफगानिस्तान के ज़्यादातर हिस्से भी तालिबान के कब्ज़े में हैं. उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं मिलनी भी शुरू हो चुकी हैं. इस बार पंजशीर चारों ओर से तालिबान से घिरा है. खाद्य और दवाओं जैसी ज़रूरी सप्लाई रोकने पर पंजशीर का विरोध कितने दिनों तक चल पाएगा, ये कहना मुश्किल है.

तालिबान पहले ही सप्लाई रोकने की धमकी दे चुका है. इस बार तालिबान के विरोध का बीड़ा अहमद मसूद ने उठाया है, जिन्हें अशरफ गनी सरकार में उपराष्ट्रपति रहे अनरुल्लाह सालेह का भी साथ मिल रहा है. अहमद मसूद ने साफ कर दिया है कि उन्हें तालिबान से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हथियार चाहिए. पीढ़ियां भी बदल गई हैं. तालिबान नई पीढ़ी के सामने विकास नामक लुभावना चारा फेंक चुका है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या मसूद और सालेह के तालिबान विरोध को पहले की तरह आम जनता का साथ मिलेगा?

Panjshir province panjshir latest news Taliban victory in Afghanistan
      
Advertisment