PM Modi का आतंक के खिलाफ नर्म होने का कांग्रेस पर आरोप सही निशाने पर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा पीएम मोदी को 'रावण' कहना कांग्रेस की बदहवासी समेत उसकी बदहाली को भी दर्शाता है. वह पार्टी जो आतंक के प्रति अपने अति नरम दृष्टिकोण के लिए देश की क्षमा के कतई योग्य नहीं है.
highlights
- 2004-2014 के यूपीए शासन के दौरान आतंकवाद अपने चरम पर था
- उस दौरान देश में औसतन हर 6 सप्ताह में बड़ा आतंकी धमाका हुआ
- राहुल गांधी ने भी 'हिंदू उग्रवाद को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा' बताया
नई दिल्ली:
'हमने उन्हें आतंकवाद को निशाना बनाने के लिए कहा, लेकिन कांग्रेस सरकार ने मोदी को निशाना बनाया. परिणामस्वरूप आतंकवादी निडर हो गए और आतंक ने बड़े शहरों में अपना सिर उठा लिया.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुजरात में हाल ही में एक रैली में कांग्रेस पार्टी पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने यह तीखा बयान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) की 'रावण टिप्पणी' के जवाब में दिया. अगर चुनावी जुमलेबाज़ी से परे जाकर केवल तथ्यों पर ध्यान दें, तो 2004-2014 के यूपीए शासन के दौरान आतंकवाद (Terrorism) अपने चरम पर था. वास्तव में 11 जुलाई 2006 को मुंबई में श्रंखलाबद्ध ट्रेन धमाकों और 26 नवंबर 2008 के बीच का समय आतंकवाद के लिहाज से विशेष रूप से डराने वाला था. उस दौरान देश में औसतन हर 6 सप्ताह में एक बड़ा आतंकी धमाका किया गया. आतंक से निपटने में मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) सरकार के रवैये और अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण की नीति ने आतंकवादी समूहों को इस हद तक प्रोत्साहित किया था कि इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) वस्तुतः देश के कोने-कोने में पैठ बनाने में सफल रहा था.
इस आलोक में कह सकते हैं कि यूपीए सरकार के आतंक के प्रति अति-नरम दृष्टिकोण के कई उदाहरण हैं. सत्ता संभालने के चार महीने बाद ही यूपीए ने जल्दबाजी में पोटा कानून निरस्त कर दिया, जो घरेलू आतंकवादी गतिविधियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण कानूनी पहलू बनकर उभरा था. दूसरे, जब लगभग सभी आतंकी हमलों में पाकिस्तान की भूमिका अच्छी तरह से स्थापित थी यूपीए सरकार ने कभी भी पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल या जवाबी हमले जैसी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की. इससे भारत के नरम राष्ट्र होने का स्पष्ट संदेश पाकिस्तान और उसकी सरपरस्ती में पल रहे आतंकी समूहों को गया. गौरतलब है कि यूपीए के कार्यकाल में हर आतंकी हमले के बाद सरकार की पहली प्रतिक्रिया अमेरिका से शिकायत करने और अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने की रही. आतंक के खिलाफ यूपीए की यह रणनीति बार-बार नाकाम रही. इसके अलावा अगर विकीलीक्स पर विश्वास किया जाए, तो लगभग उसी समय जब भारत को कुछ सबसे विभत्स आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा, राहुल गांधी ने भारत में अमेरिकी राजदूत से कहा कि 'हिंदू उग्रवाद देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है'. वास्तव में 26/11 के हमलों के बाद भी कांग्रेस ने अपनी वोट बैंक की राजनीति नहीं छोड़ी. दिग्विजय सिंह ने एक फर्जी किताब '26/11- आरएसएस की साज़िश' का विमोचन कर पाकिस्तान और उसके पालतू आतंकवादी समूहों को क्लीन चिट देने की कोशिश की.
यह भी पढ़ेंः G20 की अध्यक्षता भारत को, एक नए युग की शुरुआत जो कल हमारा है तय करेगी
ऐसे में आतंक के प्रति कांग्रेस के नरम रवैये और उसके दोहरेपन के स्पष्ट सबूतों के बाद पीएम मोदी के आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करना कतई अचंभित नहीं करता है. जाहिर है कांग्रेस के पास पीएम मोदी द्वारा बताई गई कड़वी सच्चाई का कोई जवाब नहीं था और उसके अध्यक्ष ने भद्दी 'रावण टिप्पणी' करना उचित समझा. चूंकि अवसर गुजरात विधानसभा चुनाव का है, इसलिए 1950 के दशक की शुरुआत के एक उदाहरण के साथ कांग्रेस की अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के जुनून की व्याख्या करना उपयुक्त रहेगा. 1951 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को गुजरात में नवनिर्मित सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया. इस मंदिर को विदेशी आक्रांताओं द्वारा अनगिनत बार तोड़ा गया था. ऐसे में स्वतंत्र भारत में इसका जीर्णोद्धार एक विशेष ऐतिहासिक अवसर था. फिर भी तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उनसे पुनर्विचार करने के लिए कहा. पंडित नेहरू ने पत्र में लिखा, 'एक धर्मनिरपेक्ष देश के राष्ट्रपति के ऐसा करने पर कई निहितार्थ निकाले जाएंगे'. नेहरू के विरोध के बावजूद डॉ राजेंद्र प्रसाद अपनी जिद पर अड़े रहे और मंदिर के उद्घाटन के लिए गए. हालांकि पंडित नेहरू के आग्रह पर डॉ प्रसाद ने व्यक्तिगत हैसियत से सोमनाथ का मंदिर का उद्घाटन किया. उनके गुजरात दौरे पर सरकारी तंत्र को इससे बाहर रखा गया था.
यह भी पढ़ेंः JNU परिसर में लगाए गए आपत्तिजनक पोस्टर, VC ने जांच के आदेश दिए
इस प्रकार यह बहुत स्पष्ट है कि पंडित नेहरू की धर्मनिरपेक्षता का विचार बहुसंख्यकों की भावनाओं से पीछे हटना था. बाद के दशकों में भी 'आयातित गांधी' की निगरानी में यह अल्पसंख्यक वर्चस्व की अधीनता की स्वीकृति में बदल गया. इस हद तक कि आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त से सख्त रवैये से पेश आने में यूपीए सरकार नाकाम रही. अब फिर आज के हालिया दौर पर लौट कर आते हैं. क्या केरल से सांसद होने के नाते राहुल गांधी ने कभी पीएफआई या लव जिहाद की निंदा की है? देश के असली दुश्मनों के खिलाफ बोलने की हिम्मत किए बगैर भला कोई 'भारत जोड़ो यात्रा' कैसे शुरू कर सकता है? जाहिर है आतंक से निपटने में कांग्रेस की नीयत की कमी को उजागर करने वाले पीएम मोदी के जुझारू हमले ने एक गहरी नस पर चोट की है. इस पर से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस ने घृणित 'रावण टिप्पणी' का सहारा लिया.
वीडियो
IPL 2024
-
PBKS vs MI Dream11 Team : पंजाब और मुंबई के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुनें कप्तान
-
PBKS vs MI Head to Head : पंजाब और मुबंई में होती है कांटे की टक्कर, हेड टू हेड आंकड़ों में देख लिजिए
-
PBKS vs MI Pitch Repot : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या और गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी मोहाली की पिच
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024 Date: हनुमान जयंती पर बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, जानें किन राशियो की होगी आर्थिक उन्नति
-
भारत के इस मंदिर में नहीं मिलती पुरुषों को एंट्री, यहां होते हैं कई तांत्रिक अनुष्ठान
-
Mars Transit in Pisces: 23 अप्रैल 2024 को होगा मीन राशि में मंगल का गोचर, जानें देश और दुनिया पर इसका प्रभाव
-
Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी से पहले जरूर करें 10 बार स्नान, सफलता मिलने में नहीं लगेगा समय