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G20 की अध्यक्षता भारत को, एक नए युग की शुरुआत जो कल हमारा है तय करेगी

जी20 की अध्यक्षता करते हुए भारत 19 अन्य विश्व अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के अलावा दुनिया के तमाम पर्यवेक्षकों के सामने तथ्यों को रखने के लिए उत्सुक होगा.

Updated on: 01 Dec 2022, 09:41 PM

highlights

  • भारत ने 1 दिसंबर 2022 को जी20 अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला
  • भारत 'एशियाई सपने' को व्यक्त करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है
  • 'आगे बढ़ने के लिए सहयोग, टकराव नहीं' मंत्र भारत पर उपयुक्त होगा

नई दिल्ली:

भारत (India) ने 1 दिसंबर 2022 को जी20 अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल लिया है. भारत देश के लिए वैश्विक स्तर पर यह बताने का एक सुनहरा अवसर है कि इसके सही निहितार्थ क्या हैं. 'विश्व एक परिवार है' की थीम के साथ भारत भी पूर्व अमेरिकी राजनयिक फ्रैंक ए निंकोविच द्वारा कही गई बातों की पुष्टि करने का लक्ष्य रखेगा- 'सीखने की दुनिया एक दुनिया है'. जी20 (G20) के माध्यम से भारत भौतिकतावादी और आध्यात्मिक दोनों तरह से विकासशील दुनिया से विकसित देशों की ओर बढ़ने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों को प्रदर्शित करने का प्रयास करेगा. भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं जिन्होंने दुनिया की आबादी के कल्याण में योगदान दिया है. कोविड-19 (COVID-19) महामारी ने इसे साबित भी किया है. इस कड़ी में भारत 'एशियाई सपने' को व्यक्त करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. 'कुल वर्चस्व' भारत का विचार नहीं है, बल्कि एक वैश्विक समाज के रूप में सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के लिए 'एक साथ आना' उसका ध्येय वाक्य रहेगा.

जी20 की अध्यक्षता करते हुए भारत 19 अन्य विश्व अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के अलावा दुनिया के तमाम पर्यवेक्षकों के सामने तथ्यों को रखने के लिए उत्सुक होगा. भले ही वह मसले वैश्विक जुड़ाव, विकास सहयोग, सामाजिक रूप से वंचितों को सशक्त बनाने में डिजिटल प्रगति, डिजिटल डेटा संरक्षण, नीति-आधारित हस्तक्षेप, धर्म-आधारित संवाद, सामाजिक न्याय की पहल, एक जीवंत प्रवासी, अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, योग का अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्रता दिवस हो या ठोस जलवायु न्याय प्रयास हों.  इस तरह के वैश्विक आयोजनों की मेजबानी कर भारत की छवि दुनिया भर में और सशक्त होगी. इसके साथ ही वैश्विक व्यवस्था में उसकी भूमिका को मजबूत बनाएगी. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि 2023 में जी20 की मेजबानी करना अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक बड़ा आयोजन होगा, जिसमें एक से बढ़कर एक नेता शामिल होंगे.

अपनी यात्रा में भारत विद्यमान चुनौतियों का सामना करने में ईमानदार रहा है. 'स्वच्छ भारत मिशन' लोगों को बुनियादी स्वच्छता प्रदान करने की दिशा में एक कदम रहा है. गौरतलब है कि 2022 यूएन ई-गवर्नमेंट डेवलपमेंट इंडेक्स में उल्लेख किया गया है कि कैसे भारत जैसे देश हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने के लिए अपनी डिजिटल क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं. भारत की कुछ पहलों में 'सुगम्य भारत एप' भी शामिल है, जिसे इमारतों, परिवहन प्रणालियों में विकलांगों द्वारा सामना किए जाने वाले सुगम्यता के मुद्दों को कम करने के लिए लांच किया गया था. इसी तरह इंडेक्स रिपोर्ट में किसानों के लिए सेवा के रूप में एग्री-मार्केट एप का भी उल्लेख किया गया है. ये सभी बड़े विदेश नीति लक्ष्यों के प्रति अपनी नीति को तैयार करने की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए ठोस कदम हैं. भारत सामान्य रूप से दुनिया और विशेष रूप से जी20 के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक रूपरेखा की कल्पना करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है. एक उत्कृष्ट सभ्यता प्रधान राष्ट्र के रूप में भारत ने बहुत कुछ देखा है, लेकिन अभी करने के लिए भी बहुत कुछ है. आजादी के पिछले 75 वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है. वह 2047 में आजादी के 100 साल पूरे होने पर उन महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित करने की कोशिश करेगा, जिन्हें पूरा करने की उसकी इच्छा है.

लोग उन देशों की प्रशंसा करते हैं, जो दूसरों के लिए काम करते हैं. भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं जिन्होंने दुनिया की आबादी के कल्याण में योगदान दिया है. कोविड-19 महामारी ने इसे साबित भी किया है. भारत जरूरतमंद देशों को टीके भेजने वाला पहला देश था. इंटरनेशनल सोलर एलायंस और कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर अन्य प्रमुख उदाहरणों में से हैं. दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत ने यह प्रदर्शित किया है कि वह एक निष्क्रिय दर्शक भर नहीं है, बल्कि एक सक्रिय समस्या समाधानकर्ता भी है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने यूक्रेन-रूस संघर्ष के संबंध में कहा है कि यह 'युद्ध का युग' नहीं है. संभवतः इन्हीं तमाम कारणों से व्हाइट हाउस ने इंडोनेशिया में हाल ही में संपन्न हुए जी20 शिखर सम्मेलन के बाली घोषणापत्र के मसौदे पर बातचीत करने में भारत की सक्रिय भूमिका को पहले ही स्वीकार कर लिया है.

जी 20 की मेजबानी वास्तव में भारत को उन लोगों से सीखकर अमूल्य जीवन सबक के साथ इतिहास को समसामयिक बनाने का अवसर प्रदान करती है, जिन्होंने भारत को एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में सक्षम बनाया. इसके तहत 'आगे बढ़ने के लिए सहयोग, टकराव नहीं' का मंत्र उपयुक्त होगा. राय और राजनीति के तौर पर एक विभाजित दुनिया में भारत सहयोग के महत्व को दोहराएगा. 'एशिया फॉर एशियंस' की बयानबाजी से आगे बढ़ते हुए  भारत को एकीकरण की दृष्टि के साथ तालमेल बिठाते हुए 'एशिया फॉर ऑल' के महत्व की घोषणा करनी होगी और इसे अपनाना होगा. भारत 'एशियाई सपने' को व्यक्त करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. 'कुल वर्चस्व' भारत का विचार नहीं है, बल्कि एक वैश्विक समाज के रूप में सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के लिए 'एक साथ आना' उसका ध्येय वाक्य रहेगा. 

सदियों से भारत ऐसे आध्यात्मिक गुरुओं का साक्षी रहा है, जिन्होंने बार-बार इस बात की पुष्टि की है कि सभी को एक रूप देखने और एक साथ काम करने में सच्ची शिक्षा निहित है. इस उद्देश्य के अनुरूप ही भारत ने छह देशों क्रमशः बांग्लादेश, मॉरीशस, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया और मिस्र को भी जी20 में आमंत्रित किया है. ऐसे में शिक्षा, संस्कृति, नीति और स्थायी विचार वे चार स्तंभ होंगे जिन पर भारत 2023 में जी20 को स्थापित करेगा. इस तरह जी20 में भाग लेने के लिए आने वाले देश अपने साथ भारत की प्राचीन सोच और संस्कृति को अपने साथ ले जा सकेंगे. भारत जी20 की मेजबानी में खुद को कितना अच्छे तरह से रखता है, वह कितना अच्छा करता है यह तो समय बताएगा. हालांकि एक बात तय है कि भविष्य भारतीय का ही है.