चिंपांज़ी (Chimpanzees) को अक्सर इंसानों के सबसे करीबी जीवों में गिना जाता है, और इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं. उनकी हरकतें, हाव-भाव, और सोचने-समझने का तरीका इंसानों से काफी मेल खाता है. तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्या खास होता है चिंपांज़ियों में जो वे इंसानों की तरह व्यवहार करते हैं.
98.8% DNA समानता
सबसे अहम कारण यह है कि चिंपांज़ियों और इंसानों के डीएनए (DNA) में लगभग 98.8% समानता पाई जाती है. इसका मतलब है कि हम और चिंपांज़ी एक ही पूर्वज से विकसित हुए हैं. इसी वजह से उनकी शारीरिक बनावट, मांसपेशियां, आंखों की अभिव्यक्ति और दिमागी संरचना इंसानों से काफी मिलती-जुलती है.
दिमागी क्षमता और भावनाएं
चिंपांज़ी सोच सकते हैं, प्लान बना सकते हैं, और यहां तक कि समस्या का समाधान भी कर सकते हैं. वे गुस्सा, डर, दुख, खुशी और ईर्ष्या जैसी भावनाएं महसूस करते हैं. कुछ चिंपांज़ी तो शीशे में खुद को पहचान भी लेते हैं, जो यह दर्शाता है कि उनमें सेल्फ-अवेयरनेस यानी आत्म-चेतना भी होती है. यह क्षमता बहुत कम जीवों में पाई जाती है.
सामाजिक व्यवहार और रिश्ते
चिंपांज़ी समाज में रहना पसंद करते हैं. वे अपने समूह के साथ मजबूत रिश्ते बनाते हैं, एक-दूसरे की देखभाल करते हैं, झगड़े करते हैं, और फिर सुलह भी करते हैं. ठीक वैसे ही जैसे इंसान करते हैं. वे संकेतों (gestures), आवाज़ों और हाव-भाव से एक-दूसरे से संवाद करते हैं, जो किसी भाषा के रूप जैसा होता है.
ये भी पढ़ें- अजगर ने विशालकाय मगरमच्छ का जीना कर दिया मुहाल, बुरी तरह से पीटकर भगाया
औजारों का उपयोग
चिंपांज़ी लकड़ी की टहनी या पत्थर का उपयोग करके खाना निकालने के लिए औजार बनाते हैं, जैसे कि दीमक पकड़ने के लिए टहनी का इस्तेमाल करना. यह बुद्धिमानी और सीखने की क्षमता का संकेत है, जो उन्हें अन्य जानवरों से अलग करता है. चिंपांज़ी सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी इंसानों के बहुत करीब हैं. उनकी भावनाएं, सोचने का तरीका और सामाजिक व्यवहार उन्हें इंसानों जैसा बनाते हैं. यही कारण है कि वैज्ञानिक उन्हें मानव जाति का सबसे करीबी रिश्तेदार मानते हैं.
ये भी पढ़ें- दुनिया की वो जगह जहां नहीं जा सकते हैं आम इंसान, वजह जानकर नहीं होगा यकीन