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शनि के चंद्रमा पर मिले जीवन के संकेत Photograph: (Social Media)
Life on Saturn's Moon: दुनियाभर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज कर रहे हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों को शनि के चंद्रमा पर जीवन के संकेत मिले हैं. दरअसल, बुधवार को सामने आए एक अध्ययन में कहा गया है कि शनि के बर्फीले चंद्रमा एन्सेलाडस की परत के नीचे छिपे महासागर में जटिल कार्बनिक अणु मौजूद है. जिससे पता चलता है कि इस छोटे से ग्रह पर जीवन के लिए सभी उपयुक्त तत्व मौजूद हो सकते हैं. बता दें कि, केवल 500 किलोमीटर (310 मील) चौड़ा और नंगी आंखों से दिखाई न देने वाला, सफेद, दागों से ढका एन्सेलेडस, सूर्य से छठे ग्रह की परिक्रमा करने वाले सैकड़ों चंद्रमाओं में से एक है.
विशाल खारे पानी के महासागर के मिले संकेत
बता दें कि लंबे समय से वैज्ञानिकों मान रहे थे कि एन्सेलेडस सूर्य से बहुत दूर है. इसलिए ये बहुत ठंडा है. जहां रहना संभव नहीं है. इसके बाद, कैसिनी अंतरिक्ष यान ने 2004-2017 में शनि और उसके छल्लों की यात्रा के दौरान कई बार चंद्रमा के पास से उड़ान भरी. जिसने यहां इस बात के प्रमाण खोजे कि चंद्रमा की किलोमीटर-मोटी बर्फ की परत के नीचे एक विशाल खारे पानी का महासागर छिपा है.
महासागर में मिले जीवन के लिए आवश्यक तत्व
उसके बाद से ही वैज्ञानिक कैसिनी द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों की छानबीन कर रहे थे. जिससे पता चला है कि इस महासागर में जीवन के लिए आवश्यक माने जाने वाले कई तत्व मौजूद हैं, जिनमें नमक, मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और फॉस्फोरस शामिल हैं. जब अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के ऊपर से गुज़रा, तो उसने सतह पर दरारों से पानी के जेट फूटते नजर आए. ये जेट रेत के कणों से भी छोटे, छोटे बर्फ के कणों को अंतरिक्ष में धकेल रहे थे. इनमें से कुछ बर्फ के कण चंद्रमा की सतह पर वापस गिर गए, जबकि कुछ शनि के कई छल्लों में से एक के आसपास जमा हो गए.
वैज्ञानिकों ने की कई कार्बनिक अणुओं पहचान
बर्लिन के फ्री यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक और नए अध्ययन के प्रमुख लेखक नोजैर ख्वाजा ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक बयान में कहा कि जब कैसिनी शनि के सबसे बाहरी "ई" वलय से गुज़रा, उस वक्त वह एन्सेलाडस से नमूने खोज रहा था." इन नमूनों का अध्ययन करके, वैज्ञानिकों ने पहले ही कई कार्बनिक अणुओं की पहचान कर ली थी. जिनमें अमीनो अम्लों के पूर्ववर्ती भी शामिल थे, जो जीवन के मूलभूत निर्माण खंड हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बर्फ के कण सैकड़ों वर्षों तक वलय में फंसे रहने के बाद बदल गए होंगे. या ब्रह्मांडीय विकिरण के विस्फोटों से क्षतिग्रस्त हो गए होंगे.
इसलिए वैज्ञानिक कुछ ताजा बर्फ के कणों को देखना चाहते थे. सौभाग्य से, उनके पास पहले से ही कुछ कण मौजूद थे. जब 2008 में कैसिनी सीधे चंद्रमा की सतह से निकल रहे स्प्रे में उड़ा, तो बर्फ के कण अंतरिक्ष यान के कॉस्मिक डस्ट एनालाइज़र से लगभग 18 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से टकराए. लेकिन इन कणों का विस्तृत रासायनिक विश्लेषण पूरा करने में वर्षों लग गए, जो कि नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन का विषय था.
चंद्रमा के महासागर में मौजूद थे ये अणु
अध्ययन के सह-लेखक फ्रैंक पोस्टबर्ग ने कहा कि यह शोध साबित करता है कि "शनि के 'ई' वलय में पाए गए जटिल कार्बनिक अणु कैसिनी केवल अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने का परिणाम नहीं हैं, बल्कि एन्सेलेडस के महासागर में आसानी से उपलब्ध हैं". फ्रांसीसी खगोल रसायनज्ञ कैरोलीन फ्रीसिनेट ने बताया कि इसमें "ज़्यादा संदेह नहीं" है कि ये अणु चंद्रमा के महासागर में मौजूद थे. हालांकि उन्होंने कहा कि यह पुष्टि इस पहेली में एक और अध्याय जोड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि यह दर्शाता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी आधुनिक तकनीक वैज्ञानिकों को पुराने डेटा पर नए प्रकार के विश्लेषण करने की अनुमति देती है.
उन्होंने आगे कहा कि एन्सेलेडस पर क्या हो रहा है, इसका सबसे अच्छा अंदाज़ा लगाने के लिए, एक मिशन को बर्फीले गीज़र के पास उतरना होगा और नमूने एकत्र करने होंगे. अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एक ऐसे मिशन की संभावनाओं का अध्ययन कर रही है जो ऐसा ही कर सके. एजेंसी ने एक बयान में कहा, "एन्सेलाडस जीवन को सहारा देने वाले रहने योग्य वातावरण के सभी मानदंडों पर खरा उतरता है."
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