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हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 Photograph: (NN/ANI)
भारत दुनिया का सबसे यंग देश माना जाता है, लेकिन जब बात देश के अरबपतियों की आती है तो तस्वीर बिल्कुल उलट दिखाई देती है. मशहूर एम3एम हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 के मुताबिक, भारत की अमीरों की लिस्ट में बुजुर्ग पीढ़ी का दबदबा है. 1,687 लोगों की इस सूची में दो-तिहाई लोग 1928 से 1964 के बीच पैदा हुए हैं.
किस पीढ़ी का कितना दबदबा
लिस्ट के अनुसार, बेबी बूमर पीढ़ी (1946–64) का दबदबा सबसे ज्यादा है. अकेले इस वर्ग का हिस्सा 54.6% है. इसके बाद जेनरेशन एक्स (1965–1980) के लोग आते हैं, जिनकी हिस्सेदारी 28.1% है.
- साइलेंट जेनरेशन (1928–45): 10.8%
- मिलेनियल्स (1981–96): 6%
- जेनरेशन जेड (1997 के बाद): सिर्फ 0.3%
यानी करोड़ों युवा आबादी वाले भारत में अरबपतियों की लिस्ट में जेन जेड और मिलेनियल्स की हिस्सेदारी मात्र 7% ही है. ये नंबर्स दिखाते हैं कि आज भी देश की राजनीति हो या फिर अमीरों की लिस्ट, हर जगह बुजुर्गों का दबदबा कायम है.
नई लहर की शुरुआत
मिलेनियल्स और जेन जेड का यह छोटा हिस्सा भारत में नए दौर के युवा वेल्थ क्रिएटर्स की शुरुआत को दर्शाता है. खासकर स्टार्टअप और टेक्नोलॉजी सेक्टर से आने वाले लोग धीरे-धीरे इस लिस्ट में जगह बना रहे हैं.
इसका उदाहरण हैं 22 वर्षीय कैवल्य वोहरा, जो क्विक कॉमर्स कंपनी Zepto के सह-संस्थापक हैं और इस साल की लिस्ट में सबसे कम उम्र के अरबपति बने.
टॉप पर फिर अंबानी
2025 की लिस्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (68) और उनका परिवार 9.55 लाख करोड़ रुपए (105 अरब डॉलर) की संपत्ति के साथ फिर से नंबर वन पर लौट आए हैं. वहीं, अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी (63) और परिवार 8.15 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर खिसक गए हैं.
पीढ़ी दर पीढ़ी अरबपति
लिस्ट में दूसरी पीढ़ी के कारोबारियों की नंबर्स सबसे ज्यादा 373 है, जिनमें अंबानी परिवार सबसे आगे है.
- तीसरी पीढ़ी: 88 लोग, सबसे आगे बाजाज परिवार (नीरज बाजाज)
- चौथी पीढ़ी: बिड़ला परिवार (कुमार मंगलम बिड़ला)
- पांचवीं पीढ़ी: वाडिया परिवार (नुस्ली वाडिया)
- छठी पीढ़ी: गाडगिल परिवार (गोविंद गाडगिल)
तेजी से स्टार्टअप्स कल्चर हो रहे हैं हावी
यह तस्वीर साफ दिखाती है कि भारत की संपत्ति का बड़ा हिस्सा अब भी पुराने कारोबारी घरानों के पास है. लेकिन स्टार्टअप और टेक सेक्टर से आने वाली युवा पीढ़ी धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही है, जो आने वाले समय में देश की आर्थिक दिशा बदल सकती है.
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