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मध्यप्रदेश के इस गांव में आज भी बोली जाती है संस्कृत, ऐसे हुई थी शुरुआत

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में एक ऐसा गांव है, जहां आज भी हर घर में बोलचाल के लिए संस्कृत का प्रयोग किया जाता है. इस गांव के बच्चे और बुजुर्ग शानदार संस्कृत बोलते हैं.

Updated on: 22 Dec 2020, 06:51 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में एक ऐसा गांव है, जहां आज भी हर घर में बोलचाल के लिए संस्कृत का प्रयोग किया जाता है. इस गांव के बच्चे और बुजुर्ग शानदार संस्कृत बोलते हैं. इस गांव का नाम झिरी है. यह गांव राजस्थान की सीमा से लगे सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है और राजगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर स्थित है.

इस गांव में पहुंचते ही आपको घरों की दीवारों पर संस्कृत में लिखे श्लोक दिखाई देंगे. यही नहीं, घरों के नाम भी संस्कृत में लिखे गए हैं. मध्य प्रदेश के झिरी गांव को पूरे देश में 'संस्कृत गांव' के नाम से जाना जाता है. झिरी के ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में साल 1978 से लगातार आरएसएस की एक शाखा नियमित रूप लगती आ आ रही है.

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साल 2003 में संघ की जिला बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शाखा के माध्यम से गांव और समाज में परिवर्तन कैसे किया जा सकता है? ग्रामीणों के अनुसार, इस सवाल के जवाब में झिरी गांव के निवासी उदय सिंह चौहान और तत्कालीन जिला कार्यवाहक ने सुझाव दिया कि ग्रामीणों को संस्कृत भाषा सिखाई जानी चाहिए.

उदय सिंह चौहान और तत्कालीन जिला कार्यवाहक के सुझाव को स्वीकार करते हुए, संस्कृत भारती ने झिरी गांव में एक महिला संस्कृत विद्वान और आचार्य को लाया गया. उनके रहने की व्यवस्था गांव के ही दो अलग-अलग परिवारों ने की थी.

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संस्कृत भारती की एक महिला विद्वान विमला पन्ना और बाला प्रसाद तिवारी ने साल 2004 से झिरी गांव में नियमित रूप से संस्कृत पढ़ाना शुरू कर दिया. इसके बाद धीरे-धीरे इस गांव के सभी लोग संस्कृत भाषी हो गए और आज भी यहां संस्कृत बोली जाती है. मध्य प्रदेश के झिरी गांव में सभी उम्र के लोग संस्कृत में एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं.