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सड़क किनारे महिला ने दिया बच्चे को जन्म, फिर गोद में लेकर इतना लंबा सफर किया तय, कहानी पढ़ झलक आएंगे आंसू

एक महिला वर्कर जो नासिक से सतना पैदल जा रही थी उसने रास्ते में सड़क किनारे चार महिलाओं की मदद से बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद उसे रेस्ट मिलना चाहिए था.

Updated on: 10 May 2020, 10:03 PM

नई दिल्ली:

लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से गरीबों के आगे रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. जिसकी वजह से मजदूर कर्मक्षेत्र को छोड़कर अपने घर जा रहे हैं. सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद भी लोग हजारों किलोमीटर पैदल चल कर अपने गृह राज्य जा रहे हैं. मजदूरों की मजबूरी को लेकर आए दिन दिल को रूलाने वाली कई खबरें और तस्वीरें सामने आ रही हैं. इसी में कलेजे को चीरने वाली एक कहानी सामने आई हैं. यकीन मानिए इस कहानी को पढ़कर आपके आंसू निकल आएंगे.

एक महिला वर्कर जो नासिक से सतना पैदल जा रही थी उसने रास्ते में सड़क किनारे चार महिलाओं की मदद से बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद उसे रेस्ट मिलना चाहिए था. जच्चा और बच्चा दोनों को मेडिकल सुविधा मिलनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि बच्चा हाईवे पर पैदा हुआ था. अब इसके बाद जो कुछ हुआ वो आपको अंदर तक हिला देगा. बच्चे को जन्म देने के महज एक घंटे बाद महिला उठी और चलने लगी. उसकी गोद में उसका नवजात था जो अभी इस दुनिया में आया था. महिला चली और लगातार चली. चलते-चलते 160 किलोमीटर तक पहुंची.

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मुंबई-आगरा हाईवे पर बच्चे को दिया जन्म

महिला जिसका नाम शंकुतला अपने पति राकेश कौल के साथ नासिक में रहती थी. लॉकडाउन की वजह से पति और उसका रोजगार छिन गया. महिला 9 महीने की गर्भवती थी. रोजगार नहीं रहने की वजह से वो लोग अपने घर सतना जाने का फैसला लिया. ट्रेन और बस की सुविधा नहीं मिलने की वजह से पैदल ही निकल पड़े. नासिक से सतना की दूरी 1 हजार किलोमीटर है. ये जानते हुए भी वो पैदल निकल पड़े. उनके साथ उनकी दो साल की बच्ची भी थी. 70 किलोमीटर चलने के बाद महिला को दर्द शुरू हो गया और मुंबई-आगरा हाइवे पर चार महिलाओं की मदद से एक बच्चे को जन्म दिया.

एक घंटे बाद फिर बच्चे को लेकर सफर की शुरुआत की

कायदे से शंकुतला को रेस्ट मिलना चाहिए था. उसका इलाज होना चाहिए था. लेकिन सड़क किनारे महिला ने ना सिर्फ बच्चे को जन्म दिया, बल्कि एक घंटे बाद उसे उठाकर अपना सफर शुरू भी कर दिया. महिला ने 5 मई को बच्चे को जन्म दिया इसके बाद धीरे-धीरे चलते-चलते उसने 160 किलोमीटर की दूरी तय की. शनिवार यानी 9 मई को बिजासन बॉर्डर पर पहुंची.

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महिला की कहानी सुन पुलिस वाले रह गए हैरान

शनिवार को शकुंतला बिजासन बॉर्डर पहुंची जहां चेक पोस्ट इंचार्ज कविता कनेश जांच के लिए उसके पास गई. उसे लगा कि महिला को मदद की जरूरत है. जब शकुंतला ने उसे अपनी पूरी कहानी बताई तो कविता सन्न रह गई. उसकी कहानी सुनकर पुलिस टीम भी अवाक रह गई.

कुछ लोगों ने मानवता का दिया परिचय

महिला के पति की मानें तो रोजगार जाने की वजह से उनके पास खाने को कुछ नहीं था. इसलिए वो घर वापस लौटने का फैसला लिया. हालांकि इस दौरान रास्ते में कुछ लोगों ने मानवता का परिचय दिया. धुले में एक सिख परिवार ने नवजात बच्चे को कपड़ा और जरूरी समान दिया. बिजासन बॉर्डर पर तैनात पुलिसवालों ने भी उनकी मदद की. उन्हें खाना दिया और नंगे पैर आ रहे बच्चों को जूता दिया.