सेना में रहते खोया शरीर का अंग, फिर भी नहीं छोड़ी हिम्मत...अब इस तरह राष्ट्रसेवा कर रहा ये जांबाज
रणवीर सिंह गोदारा नामक युवक में देश सेवा का ऐसा जज्बा था कि उसने सेना ज्वाइन करने का सपना देखना शुरू किया और उनका सपना तब पूरा हुआ जब उनका सिलेक्शन भारतीय वायु सेना में एयर मैन के तौर पर हुआ.
highlights
- रणवीर सिंह गोदारा ने सेना में रहते खोया एक पैर
- नहीं छोड़ी हिम्मत, अब भी देशसेवा का जब्जा
- विषम परिस्थितियों में निभा रहे हैं अपना दायित्व
जोधपुर:
अब तक आपने फिल्मों में ऐसे किरदार देखे होंगे, जिनमें फौज में काम करने वाले व्यक्ति अपने शरीर का अंग खो देने के बाद भी देश सेवा के प्रति उनका जज्बा कम नहीं होता. लेकिन आज हम आपको हकीकत में एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिनके खून में देश सेवा का जज्बा है. जिन्होंने जिंदगी में हारना नहीं सीखा. रणवीर सिंह गोदारा नामक युवक में देश सेवा का ऐसा जज्बा था कि उसने सेना ज्वाइन करने का सपना देखना शुरू किया और उनका सपना तब पूरा हुआ जब उनका सिलेक्शन भारतीय वायु सेना में एयर मैन के तौर पर हुआ. वे भारतीय वायुसेना में लगातार सेवाएं दे रहे थे कि साल 2009 में वह दिन आया जिसमें इनकी जिंदगी बदल कर रख दी. हैदराबाद में 1 मिनट भी एक्सरसाइज के दौरान इनके पैर में गोली लगी और इनका पैर काटना पड़ा.
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साल 2014 में मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर इनको वायु सेना ने पद मुक्त कर दिया. लेकिन इनकी देश सेवा का जुनून खत्म नहीं हुआ और इन्होंने आरएएस की तैयारी शुरू कर दी. कड़ी मेहनत के बल पर इन्होंने अपने इस सपने को भी पूरा कर दिया और आरएएस अधिकारी बन गए. इनकी नियुक्ति क्षेत्रवाद तहसीलदार के रूप में हुई. साथ ही इन्हें देचू तहसील का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया. राजस्थान में रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा चल रहा है, ऐसे में देश के इस लाल ने इन विषम परिस्थितियों में भी अपने दायित्वों का पालन करने के प्रति अपनी शारीरिक का अक्षमताओं को आगे आने नहीं दिया.
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कोरोना काल में आपने अपने क्षेत्र में फ्लैग मार्च करते हुए पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को देखा होगा, लेकिन यह फ्लैग मार्च विशेष रूप से चर्चाओं में है. सोशल मीडिया पर इस फ्लैग मार्च के वीडियो को वायरल कर लोग इस अधिकारी की तारीफ करते नहीं थकते कि विशेष योग्यजन होते हुए भी इस प्रकार से वह अपने ड्यूटी को मुस्तैदी से अंजाम दे रहे हैं. लेकिन शायद लोगों को यह पता नहीं कि मातृभूमि की रक्षा करते हुए इसी अधिकारी ने अपना एक पैर खो दिया. लेकिन देश की सेवा का जज्बा खत्म नहीं हुआ तो इन्होंने एक मूर्तिकार की भांति अपने आप को एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में तैयार किया और प्रदेश में कोरोना जैसे संकट मे जिस जज्बे के साथ यह लाव लश्कर लेकर गुजरते हैं हर कोई इनको सलाम करता नजर आता है.
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