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K2-18b: नासा ने खोजा धरती से आठ गुना से भी बड़ा ग्रह, जहां जीवन होने के मिले संकेत

NASA: नासा के मुताबिक, इस ग्रह पर एक रसायन की भी जानकारी मिली है. जो संभावित जीवन होने की ओर इशारा करता है. नासा का कहना है कि जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इस ग्रह की खोज की है.

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Suhel Khan
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K2 18b

K2 18b ( Photo Credit : Social Media)

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NASA: दुनियाभर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इसके रहस्यों को आज तक कोई नहीं समझ पाया. इसी बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को एक बड़ी कामयाबी मिली है. दरअसल, नासा ने कई प्रकाश वर्ष दूर धरती से बड़े ग्रह को खोजा है. बता दें कि इस विशालकाय एक्सोप्लैनेट पर एक महासागर होने की भी जानकारी मिली है. इसके साथ ही इस ग्रह पर जीवन होने की संभावना भी बढ़ गई हैं.

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नासा के मुताबिक, इस ग्रह पर एक रसायन की भी जानकारी मिली है. जो संभावित जीवन होने की ओर इशारा करता है. नासा का कहना है कि जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इस ग्रह की खोज की है. नासा के मुताबिक, खोजा गया एक्सोप्लैनेट धरती से 8.6 गुना बड़ा है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने K2-18b नाम के इस ग्रह के वातावरण की जांच की है, जिसमें मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड समेत कार्बन के प्रभाव वाले अणुओं का भी पता चला है. इसके अलावा भी इस ग्रह पर कई और भी चौंकाने वाले तत्वों का पता चला है. 

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कैसे खोजा गया ये नया ग्रह

बता दें कि नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप से इस ग्रह की खोज मिली है. जो हाल के दिनों में ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए की जा रही खोजों में सबसे अहम माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि K2-18b एक हाइसीन एक्सोप्लैनेट हो सकता है. बता दें कि हाइसीन ऐसे ग्रह को कहा जाता है, जिसमें हाइड्रोजन समृद्ध वातावरण और महासागर से ढंकी सतह होने की संभावना हो. नासा ने अपन वेबसाइट के माध्यम से बताया कि इस रहने योग्य क्षेत्र वाले एक्सोप्लैनेट के वायुमंडलीय गुणों के बारे में हबल स्पेस टेलीस्कोप से पहली जानकारी हासिल हुई है. इस नई खोज से वैज्ञानिकों को आगे के शोध के लिए प्रेरणा मिलेगी और ब्रह्मांड में इसी तरह के अन्य ग्रहों को खोजने में मदद मिलेगी. नासा का कहना है कि इस खोज ने सिस्टम के बारे में उनकी समझ को बदल दिया है.

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जानिए क्या है K2-18b

नासा का कहना है कि खोजा गया नया ग्रह K2-18b रहने योग्य इलाके में एक ठंडे बौने तारे K2-18 की परिक्रमा कर रहा है. जो धरती से 120 प्रकाशवर्ष दूर है. K2-18b एक्सोप्लैनेट का आकार धरती और नेपच्यून के बीच है. नासा का कहना है कि निकटवर्ती ग्रहों की कमी के चलते इन एक्सोप्लैनेट को कम आंका जाता है. नासा का कहना है कि हो सकता है कि K2-18 b एक हाइसीन एक्सोप्लैनेट हो. कुछ खगोलविद का मानना है कि यह घटनाक्रम एक्सोप्लैनेट पर जीवन की तलाश की दिशा में नई संभावनाएं पैदा कर सकती है.

HIGHLIGHTS

  • नासा ने खोजा पृथ्वी से आठ गुना बड़ा ग्रह
  • नए ग्रह पर एक महासागर का भी चला पता
  • नए ग्रह पर जीवन होने की संभावनाएं भी 

Source : News Nation Bureau

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