logo-image

यहां एक किलो मूंगफली के रेट में मिलता है 3 किलो काजू! बात भारत के इस शहर की

Cashew nuts: ड्राई फ्रूट्स का नाम आते ही सबके दिमाग में काजू-बादाम की तस्वीर दौड़ने लगती है. दौड़े भी क्यों ना. ऐसा कौन होगा, जिसको ड्राई फ्रूट्स प्रिय नहीं होंगे.  सर्दियों में ड्राई फ्रूट्स का सेवन और भी अधिक बढ़ जाता है

Updated on: 27 Jan 2023, 06:32 PM

New Delhi:

Cashew nuts: ड्राई फ्रूट्स का नाम आते ही सबके दिमाग में काजू-बादाम की तस्वीर दौड़ने लगती है. दौड़े भी क्यों ना. ऐसा कौन होगा? जिसको ड्राई फ्रूट्स प्रिय नहीं होंगे.  सर्दियों में ड्राई फ्रूट्स का सेवन और भी अधिक बढ़ जाता है. हालांकि महंगाई के कारण लोग इनका सीमित ही इस्तेमाल करता हैं. बाजार में काजू की कीमत 800 से 1000 रुपए प्रति किलो है. लेकिन आज हम आपके लिए एक ऐसी खबर लेकर आए हैं, जिसको पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल, अपनी ऊंची दरों के लिए मशहूर यह सफेद मेवा देश के एक शहर में मूंगफली से भी सस्ता बिकता है. इस शहर में काजू की कीमत मात्र 30 से 50 रुपए किलो है. 

Jio का धमाका प्लान- केवल एक रिचार्ज में चलेंगे पूरी फैमिली के फोन, मिलेगा 500 GB डेटा

काजू की खेती

यहां बात कर रहे हैं झारखंड के जामताड़ा जिले की. दरअसल, यहां आलू-प्याज या यूं कहें कि एक किलो मूंगफली के भाव में तीन किलो काजू बिक रहे हैं. अब आप यह सोच रहे होंगे कि इस शहर में इतना सस्ता काजू क्यों मिल रहा है. क्योंकि देश के इस राज्य में हर साल हजारों टन काजू की पैदावार होती है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि जामताड़ा हेडक्वार्टर के  बिल्कुल पास लगभग 49 एकड़ भूमि में काजू की खेती की जाती है. यही कारण है कि यहां काम करने वाले वर्कर काजू को बहुत सस्ते भाव बेच देते हैं. बावजूद इसके यहां से खरीदा हुआ काजू देश में महंगे रेट में ही मिलता है. इसके साथ ही जबसे लोगों की इसकी जानकारी लगी है, तब से यहां लोगों का आना-जाना बढ़ गया है.

Anti-Aging Food: 30 के बाद तुरंत छोड़ दें ये Foods, वरना कम उम्र में दिखने लगेंगे बूढ़े

जानें कैसे हुई काजू की खेती की शुरुआत

आपको बता दें यहां काजू की खेती करने वाले किसानों के पास मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. जामताड़ा के लोगों की मानें तो पिछले कुछ सालों तक यहां के पूर्व डिप्टी कमिश्नर ने कृषि वैज्ञानिकों से भू-परीक्षण कराकर काजू की खेती की शुरुआत कराई थी. जिसका रिजल्ट भी देखने को मिला और यहां काजू की बहुत अच्छी खेती होने लगी. लेकिन सुरक्षा इंतजामों के अभाव के चलते या तो यहां काजू की फसल बर्बाद हो जाती है या फिर मजदूर उसको सस्ते भाव में बेच देते हैं.