आज ही के दिन जन्मा था भारत का अमर जवान जसवंत सिंह, 72 घंटे में 300 चीनी सैनिकों को किया था ढेर

साल 1962 में चीन के साथ हुए उस युद्ध में जसवंत सिंह ने बिना सोए लगातार 72 घंटों तक चीन के साथ जंग लड़ी और उनके 300 से भी ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था.

साल 1962 में चीन के साथ हुए उस युद्ध में जसवंत सिंह ने बिना सोए लगातार 72 घंटों तक चीन के साथ जंग लड़ी और उनके 300 से भी ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था.

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Sunil Chaurasia
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अमर शहीद जसवंत सिंह( Photo Credit : न्यूज नेशन)

आज ही दिन 79 साल पहले जन्मे भारत के अमर जवान जसवंत सिंह रावत की आज जयंती है. जसवंत सिंह का जन्म 19 अगस्त, 1941 को पौड़ी गढ़वाल के बाडयू पट्टी खाटली गांव में हुआ था. जसवंत ने 19 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी. उन्हें चौथी गढ़वाल राइफल लैन्सडाउन (उत्तराखंड) में पोस्टिंग मिली थी. जसवंत सिंह जब अपनी ट्रेनिंग कर रहे थे, उस समय चीन ने पूर्वी भारत में घुसपैठ कर दी और मौके का फायदा उठाकर हमला कर दिया.

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सीमा पर चीन की घुसपैठ को जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने नेफा क्षेत्र में चौथी गढ़वाल राइफल को भेजने का आदेश दिया. साल 1962 में चीन के साथ हुए उस युद्ध में जसवंत सिंह ने बिना सोए लगातार 72 घंटों तक चीन के साथ जंग लड़ी और उनके 300 से भी ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. आखिर में देश के लिए कुर्बान हो गए. जसवंत सिंह चीन से भारत माता की रक्षा करते हुए 17 नवंबर, 1962 को शहीद हो गए. देश के लिए शहीद होने के बाद भी वे भारतीय सेना के अमर शहीद हैं. जिस जगह पर वे शहीद हुए थे, उसी जगह पर उनकी एक प्रतिमा है. इतना ही नहीं, उनकी सेवा में वहां 24 घंटे पांच जवान तैनात रहते हैं.

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शहीद होने के बाद भी जसवंत सिंह आज भी भारतीय सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं. जसवंत सिंह अरुणाचल प्रदेश के नूरानांग भारत माता की सेवा के दौरान शहीद हो गए थे. आज के समय में नूरानांग में जसवंत सिंह गढ़ नाम का एक मेमोरियल है, जहां सेना के जवान उनकी वर्दी और खाना लेकर जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जसवंत सिंह की शहादत के 58 साल बाद भी भारतीय सेना पूरी प्रक्रिया के अनुसार उनका प्रमोशन भी करती है.

Source : News Nation Bureau

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