बेटे को एग्जाम दिलाने के लिए पिता ने 105 किमी तक चलाई साइकिल, पूरा मामला जान भर आएंगी आंखें
आशीष और उसके पिता के मजबूत इरादों आगे सड़क की दूरी ने भी घुटने टेक दिए. आशीष के पिता शोभाराम अपने बेटे को साइकिल पर बैठाकर घर से निकले और करीब 8 घंटे में 105 किलोमीटर का सफर तय किया.
नई दिल्ली:
पिछले महीने जुलाई में मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित कर दिए गए थे. परीक्षाओं में कई बच्चे ऐसे भी थे जो पास नहीं हो पाए. लेकिन, मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसे बच्चों का हौसला बढ़ाने के लिए 'रुक जाना नहीं' अभियान चलाया. जिसके तहत परीक्षाओं में फेल हुए बच्चों को एक बार फिर से पास होने का मौका दिया गया है. मध्य प्रदेश में 'रुक जाना नहीं' अभियान के तहत एक बार फिर से फेल हुए बच्चों की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं.
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प्रदेश के धार जिले के रहने वाले शोभाराम का बेटा आशीष दसवीं की परीक्षाओं में पास नहीं हो पाया था. जिसके बाद आशीष ने 'रुक जाना नहीं' अभियान के तहत एक बार फिर से परीक्षाओं में बैठने का मन बनाया. आशीष को दसवीं में पास होने के लिए 3 परीक्षाओं में पास होना है. इसी कड़ी में मंगलवार को आशीष का गणित का पेपर था. आशीष का एग्जाम सेंटर उसके घर से 105 किलोमीटर दूर है. कोरोना की वजह से अभी सभी बसें भी नहीं चल रही हैं तो ऐसे में उन्हें खुद ही सेंटर पहुंचने की व्यवस्था करनी थी.
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शोभाराम अपने बेटे की परीक्षा को किसी भी सूरत में नहीं छोड़ना चाहते थे. इसीलिए, उन्होंने साइकिल से सेंटर जाने का मन बनाया. आशीष और उसके पिता के मजबूत इरादों आगे सड़क की दूरी ने भी घुटने टेक दिए. आशीष के पिता शोभाराम अपने बेटे को साइकिल पर बैठाकर घर से निकले और करीब 8 घंटे में 105 किलोमीटर का सफर तय कर वे एग्जाम सेंटर पहुंच गए. साइकिल के कैरियर पर बैठे आशीष ने अपने कंधे पर स्कूल बैग टांग रखा था तो आगे उसने तीन दिन का राशन भी रखा था.
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आशीष को 3 पेपर देने हैं और वे रोजाना इतनी लंबी दूरी तय नहीं कर सकते. इसलिए वे किसी से 500 रुपये उधार लेकर 3 दिन का राशन खरीदा और रवाना हो गए, ताकि वहीं कहीं आसपास खाना बनाकर भी खा सकें. शोभाराम धार जिले में मनावर तहसील के गांव बयड़ीपुरा के रहने वाले हैं और मजदूरी करके परिवार चलाते हैं. शोभाराम चाहते हैं कि उनका बेटा पढ़-लिख कर एक बड़ा अफसर बने. उन्होंने बताया कि वे सोमवार रात को 12 बजे घर से निकले थे और सुबह करीब 7.45 बजे सेंटर पहुंच गए.
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