मध्य प्रदेश के बड़वानी में स्थित नागलवाड़ी शिखरधाम स्थित 700 साल पुराने भीलटदेव मंदिर. इस नागपंचमी पर इस मंदिर में सन्नाटा पसरा रहेगा. आमतौर पर नागपंचमी के दिन इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना ने इस बार यह सुअवसर छीन लिया है. लोगों का मानना है कि बाबा भीलटदेव यहां नाग देवता बनकर रहते हैं. नागपंचमी पर लोग नाग देवता की पूजा अर्चना करने यहां पहुंचते रहे हैं. कोरोना के कारण इस बार यहां मेला भी नहीं लगेगा.
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नागलवाड़ी शिखरधाम घने जंगल और एक विशाल पहाड़ी पर स्थित है. यह मंदिर राजपुर तहसील में आता है. किवदंती है कि बाबा के दरबार में एक बार कोई किन्नर आया. किन्नर ने अपने लिए संतान मांग ली. बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया और किन्नर गर्भवती हो गया लेकिन कोई बच्चे के जन्म के लिए वो शारीरिक तौर पर सक्षम नहीं था, लिहाजा बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई. इस किन्नर की यहां समाधि है. उसके बाद बाबा ने श्राप दिया कि कोई भी किन्नर नागलवाड़ी में नहीं रुकेगा.
कौन हैं भीलटदेव बाबा
853 साल पहले मध्य प्रदेश के हरदा जिले में नदी किनारे स्थित रोलगांव पाटन के एक गवली परिवार में बाबा भीलटदेव का जन्म हुआ था. इनके माता-पिता मेदाबाई और नामदेव शिवजी के भक्त थे. इनके कोई संतान नहीं थी, तो उन्होंने शिवजी की कठोर तपस्या की. इसके बाद बाबा का जन्म हुआ. कहानी है कि शिव-पार्वती ने इनसे वचन लिया था कि वो रोज दूध-दही मांगने आएंगे. अगर नहीं पहचाना, तो बच्चे को उठा ले जाएंगे. एक दिन इनके मां-बाप भूल गए, तो शिव-पार्वती बाबा को उठा ले गए. बदले में पालने में शिवजी अपने गले का नाग रख गए. इसके बाद मां-बाप ने अपनी गलती मानी. इस पर शिव-पावर्ती ने कहा कि पालने में जो नाग छोड़ा है, उसे ही अपना बेटा समझें। इस तरह बाबा को लोग नागदेवता के रूप में पूजते हैं.
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लोगों का कहना है कि बाबा भीलटदेव तंत्र-मंत्र और जादू की कला में पारंगत थे. उन्होंने अपना लंबा समय कामख्या देवी मंदिर के आसपास गुजारा. उन्होंने तंत्र-मंत्र से लोगों को परेशान करने वाले देश के कई बड़े तांत्रिकों का अंत किया था. भीलटदेव मंदिर का मौजूदा स्वरूप 2004 में तैयार हुआ. इसे गुलाबी पत्थरों से बनाया गया. यह बड़वानी से 74 किमी दूर और खरगोन से 50 किमी दूर है. सतपुड़ा के घने-ऊंघते और अनमने जंगल में एक विशाल शिखर पर बना यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है. कहते हैं कि नागपंचमी पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है. हालांकि इस साल कोरोना के कारण नागपंचमी पर लगने वाला मेला स्थगित कर दिया गया है.
Source : News Nation Bureau