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तमाम भारतीयों का काला धन छिपा है स्विस बैंकों में.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2014 में लोकसभा चुनाव का पूरा प्रचार अभियान स्विस बैंकों (Swiss Bank) में जमा भारतीयों के काला धन पर केंद्रित रखा था. भारी बहुमत से चुनकर आने के बाद से काला धन अभी भी दिवास्वप्न सरीखा ही है. हालांकि महज 14 हजार रुपए मासिक आमदनी का दावा करने वाली एक अस्सी वर्षीय बुजुर्ग महिला के स्विस बैंक अकाउंट में 196 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी मिली है. इससे एक बार फिर उम्मीद जगी है कि यदि स्विस खातों को कायदे से खंगाला जाए तो दसियों लाख करोड़ रुपए का काला धन मिल ही जाएगा.
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टैक्स के साथ जुर्माना भी
इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (ITAT) की मुंबई शाखा के आदेश के बाद अब आरोपी महिला को टैक्स के साथ जुर्माना भी चुकाना पड़ेगा. उम्र के आठ दशक पार कर चुकीं रेणु थरानी का एचएसबीसी जेनेवा में अकाउंट है. स्विस बैंक में थरानी फैमिली ट्रस्ट के नाम के इस बैंक की एकमात्र विवेकाधीन लाभार्थी हैं. केमन आइलैंड आधारित जीडब्ल्यू इन्वेस्टमेंट के नाम पर इसे जुलाई 2004 में खोला गया था. इस कंपनी ने व्यवस्थापक के रूप में फंड को फैमिली ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया.
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आईटी रिटर्न में छिपाई जानकारी
थरानी ने 2005-06 में दाखिल आईटी रिटर्न में इसकी जानकारी नहीं दी. इस मामले को दोबारा 31 अक्टूबर 2014 को खोला गया. थरानी ने एक शपथपत्र देकर यह भी कहा कि उनका एचएसबीसी जेनेवा में कोई बैंक अकाउंट नहीं है ना ही वह जीडब्ल्यू इन्वेस्टमेंट बैंक में डायरेक्टर या शेयरहोल्डर थीं. उन्होंने खुद को नॉन रेजिडेंट बताया और दावा किया कि यदि कोई राशि है भी तो उनसे टैक्स नहीं लिया जा सकता है.
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1.7 लाख रुपए बताई सालाना आमदनी
2005-06 के आईटी रिटर्न में थरानी ने बताया था कि उनकी सालाना आमदनी महज 1.7 लाख रुपए है. उन्होंने इसमें बेंगलुरु का पता दिया था और अपना टैक्सपेयर स्टेटस भारतीय बताया था. ITAT बेंच ने कहा कि यह हो सकता है कि वह तब वह नॉन रेजिडेंशियल स्टेटस के पहले साल में रही हों, लेकिन इतने कम समय में 200 करोड़ रुपए अकाउंट में कहां से आ गए. उन्होंने पहले जितनी आमदनी बताई थी उस हिसाब से यह रकम जमा होने पर 11,500 साल लग जाएंगे.