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राजनीतिक उठापटक के बीच गहलोत ने क्यों की राज्यपाल से मुलाकात? जानिए क्या है आगे की रणनीति

राजस्थान में जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राज्य के राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार गरमाया हुआ है.

Updated on: 19 Jul 2020, 11:04 AM

जयपुर:

राजस्थान (Rajasthan) में जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राज्य के राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार गरमाया हुआ है. भले ही राजभवन की ओर से इस शिष्टाचार मुलाकात बताया गया है, मगर राज्य सरकार पर संकट के इस दौर में मुख्यमंत्री और राज्यपाल की मुलाकात को लेकर अटकलें लगना स्वभाविक ही हैं. सूत्रों ने यह बताया कि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने राज्यपाल को राजस्थान के ताजा सियासी हालातों से अवगत कराया और कांग्रेस के बहुमत होने का दावा भी किया.

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सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत की राज्यपाल के साथ मुलाकात करीब 45 मिनट चली. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी. सूत्रों ने कहा कि गहलोत ने राज्यपाल को विधायकों के समर्थन का पत्र भी सौंपा. गहलोत ने ये भी कहा कि जरूरत पड़ने पर वह सदन में भी बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं.

यह मुलाकात ऐसे समय में भी हुई है जब विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट समेत अन्य बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किया है, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. अयोग्यता नोटिस पर अदालत में सुनवाई सोमवार को जारी रहेगी और विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे तक कोई कार्रवाई नहीं करेंगे.

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ऐसे में बागी विधायकों के योग करने, मुगल-ए-आजम फिल्म देखने जैसी तस्वीरें टीवी और सोशल मीडिया पर आ रही हैं. फिलहाल पायलट खेमे के बारे में कुछ खास खबर नहीं मिली है. उधर से सभी चुप्पी साधे हुए हैं. वे लोग हरियाणा के एक रिसॉर्ट में रूके हुए हैं. तो इधर, कांग्रेस अशोक गहलोत के नेतृत्व में विधायकों का बहुमत दावा ठोक रही है. भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायकों ने भी गहलोत गुट का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है.

सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों के कांग्रेस से बगावत के बाद राज्य की गहलोत सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. फिलहाल प्रत्येक सीट महत्वपूर्ण हो गई है. 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में पहले कांग्रेस के पास 107 विधायक थे, जिनमें से 19 बागी को गए हैं. अभी गहलोत का दावा है कि उनके पास 103 विधायक हैं, जिनमें 88 कांग्रेस के हैं, 10 निर्दलीय और 5 अन्य दलों से हैं. जबकि 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए 101 सदस्य होने है. इस लिहाज से गहलोत गुट के पास विधायकों की संख्या बहुमत से ऊपर है.