Khabar Unique: गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स वाली बुक का मालिक कौन है, जानें कैसे होती है इसकी कमाई

Khabar Unique: दुनिया की भरोसेमंद किताबों में शामिल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का मालिक कौन है और इसकी कमाई का जरिया क्या है. आइये जानते हैं.

Khabar Unique: दुनिया की भरोसेमंद किताबों में शामिल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का मालिक कौन है और इसकी कमाई का जरिया क्या है. आइये जानते हैं.

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Jalaj Kumar Mishra
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Know Guinness Book of World Record owner name and its Source of Income

Logo : (Guinness Book of World Record)

Khabar Unique: गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दुनिया की सबसे भरोसेमंद बुकों में गिनी जाती है. 1955 में इसकी पहली कॉपी छपी थी. तब से हर साल ये प्रकाशित होती है. बुक ने 70 साल का सफर पूरा कर लिया है. गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स केवल किताब तक सीमित नहीं है बल्कि अब तो ये टीवी शो, सोशल मीडिया, लाइव इवेंट्स और डिजिटल प्लेटफोर्म बन गई हैै. 

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कैसे हुई बुक की शुरुआत? 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,कहानी की शुरुआत 1950 के दशक में शुरू हुई थी. एक बार गिनीज ब्रेवरी के मैनेजिंग डायरेक्टर सर ह्यू बीवर की किसी बात पर बहस हो गई थी. किसी भी रेफरेंस में इस सवाल का जवाब नहीं मिला, यहीं से उन्हें एक आइडिया आया कि एक ऐसी किताब होनी चाहिए, जो हर एक सवाल का जवाब दे सके. इसी आइडिया को पूरा करने के लिए उन्होंने 1954 में पत्रकार नॉरिस और रॉस में मैकव्हर्टर को जोड़ा गया. इसके एक साल बाद पहला एडिशन पब्लिश हुआ. 

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बुक का मालिक कौन है? 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में तो ये प्रोजेक्ट्स गिनीज ब्रेवरी हिस्सा था. लेकिन 2001 में कंपनी का मालिकाना हक बदल गया. इसका मालिकाना हक अब कनाडा की कंपनी जिम पैटिन के पास है. लंदन में इसका हेडक्वार्टर है और न्यूयॉर्क, टोक्यो, बीजिंग और दुबई आदि शहर में इसके दफ्तर मौजूद हैं. 

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कैसे होती है कमाई

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बुक की कमाई अब सिर्फ बुकों की बिक्री पर ही निर्भर नहीं है. हर साल करीब 48 हजार से ज्यादा आवेदन दुनिया भर से आते हैं, जिनमें से सिर्फ कुछ हजार को ही मान्यता मिलती है. रिकॉर्ड दर्ज करवाने के लिए कंपनियां और संस्थाएं कई बार गिनीज बुक को फीस देती हैं, जो इसकी कमाई का बड़ा जरिया है. इसके अलावा, कंपनी किताबों की बिक्री, टीवी शो, ब्रांड सहयोग, लाइव इवेंट्स और सोशल मीडिया एंगेजमेंट से भी मोटी कमाई करती हैं. खात बात है कि कई बार बड़ी-बड़ी कंपनियां और सरकारें ब्रांड बिल्डिंग के लिए इस बुक की मदद लेती है, जिसकी फीस करोड़ों रुपये होती है.

DISCLAIMER: बता दें, ये खबर मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बनाई गई है. हम बुक की कमाई मॉडल या फिर इसके मालिकाना हक की पुष्टि नहीं करते हैं. 

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