हम सभी बचपन से एक कहानी सुनते आ रहे हैं, कहानी नागलोक की. फिल्मों और टीवी सीरियल्स में भी हमने काफी नागलोक से जुड़ी कहानी देखी. ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई में नागलोक जैसी कोई जगह होती है? हम इस खबर में यही जानने कि कोशिश करेंगे, क्या है नागलोक की सच्चाई? प्राचीन भारतीय ग्रंथों और लोककथाओं में नागलोक का उल्लेख किया गया है.
नागलोक का धार्मिक और पौराणिक उल्लेख
हिंदू धर्मग्रंथों, विशेष रूप से महाभारत, रामायण और पुराणों में नागलोक का डिटेल्स वर्णन मिलता है. कहा जाता है कि यह स्थान पाताल लोक में स्थित है और नागराज वासुकी के नेतृत्व में यहां नाग जाति के लोग निवास करते हैं. भागवत पुराण में भी बताया गया है कि नागलोक में शेषनाग निवास करते हैं, जिनके फन पर भगवान विष्णु शयन करते हैं.
विज्ञान और नागलोक की वास्तविकता
विज्ञान के नजरिए से देखें तो अब तक किसी भी शोध में नागलोक जैसी किसी जगह का कोई प्रमाण नहीं मिला है. हालांकि, कई जगहों पर सांपों से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएं जरूर सामने आई हैं, जिससे लोग इसे नागलोक से जोड़ते हैं.
धरती पर नागलोक के संभावित स्थान
भारत और नेपाल में कुछ स्थानों को नागलोक से जोड़ा जाता है. जिनमें नागचंद्रेश्वर मंदिर है, जो उज्जैन में स्थित है. कहा जाता है कि यहां नागों की गुप्त दुनिया का द्वार है. वहीं, पत्थलपुत्र गुफा (नेपाल) यह गुफा रहस्यमयी मानी जाती है और यहां से सांपों के अचानक गायब होने की कहानियां प्रचलित हैं. इसके अलावा कामाख्या मंदिर (असम) यह स्थान भी नागशक्ति से जुड़ा माना जाता है.
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क्या नागलोक सच में मौजूद है?
भले ही विज्ञान इसे एक मिथक मानता हो, लेकिन धार्मिक मान्यताओं और रहस्यमयी घटनाओं के कारण नागलोक का रहस्य अभी तक पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है. कुछ लोगों का मानना है कि यह एक दूसरी आयाम (डायमेंशन) में हो सकता है, जहां केवल आध्यात्मिक शक्तियां प्रवेश कर सकती हैं. हालांकि, नागलोक के अस्तित्व पर अभी तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं और रहस्यमयी घटनाओं के कारण यह विषय हमेशा चर्चा में रहता है.
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