जर्मनी के Federal Court of Justice ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि मशहूर जर्मन ब्रांड Birkenstock के सैंडल आर्ट नहीं, बल्कि सिर्फ आरामदायक जूते हैं. कंपनी ने दावा किया था कि उसके सैंडल “कॉपीराइट-प्रोटेक्टेड अप्लाइड आर्ट” हैं और उन्हें नकल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
क्या था मामला?
Birkenstock, जो 1774 से जूते बनाने की परंपरा को फॉलो कर रहा है और जिसका मुख्यालय Linz am Rhein, Germany में स्थित है, कंपनी ने तीन कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. कंपनी का कहना था कि इन कंपनियों ने उनके प्रसिद्ध चौड़ी पट्टियों और बड़े बकल वाले सैंडल की नकल की है.
कंपनी ने अदालत से मांग की थी कि नकल करने वाली कंपनियों पर रोक लगाई जाए और उनके बनाए हुए सैंडल बाजार से हटाकर नष्ट किए जाएं. हालांकि, अदालत ने कंपनी की इस मांग को खारिज कर दिया.
निचली अदालतों के अलग-अलग फैसले
इस मामले पर पहले कोलोन की एक क्षेत्रीय अदालत ने Birkenstock के पक्ष में फैसला दिया था और उनके सैंडल को “Applied Art” यानी कलात्मक उत्पाद माना था. लेकिन, जब मामला कोलोन की उच्च क्षेत्रीय अदालत में पहुंचा, तो वहां यह आदेश रद्द कर दिया गया.
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फेडरल कोर्ट ने क्या कहा?
जर्मनी के संघीय न्यायालय ने भी ऊपरी अदालत के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि किसी भी उत्पाद को कॉपीराइट तभी मिल सकता है, जब उसमें “तकनीकी जरूरतों या डिजाइन की बाधाओं से परे कलात्मक मौलिकता हो.”
अदालत ने स्पष्ट किया कि सिर्फ आरामदायक और लोकप्रिय डिजाइन किसी उत्पाद को कला का दर्जा नहीं दिला सकता. Birkenstock के सैंडल भले ही दुनिया भर में पसंद किए जाते हों, लेकिन वे कलात्मक रचनात्मकता की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करते.
इस फैसले का असर
इस फैसले के बाद, Birkenstock की तरह दिखने वाले सैंडल बनाने वाली कंपनियों को कोई कानूनी रुकावट नहीं होगी. इसका मतलब है कि बाजार में Birkenstock जैसी डिजाइन वाले अन्य सैंडल उपलब्ध रहेंगे, और कंपनी को अपने ब्रांड को मजबूत करने के लिए अन्य कानूनी या मार्केटिंग रणनीतियों पर ध्यान देना होगा.
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