क्या आपका भी बच्चा मोबाइल पर दिनभर लगा रहता है? अगर हां, तो काफी खतरनाक साबित हो सकता है. डिजिटल युग में मोबाइल फोन बच्चों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. लेकिन क्या लगातार स्क्रीन पर वीडियो देखने से उनके दिमागी विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है? हाल ही में हुए कई शोधों में यह सामने आया है कि ज्यादा समय तक मोबाइल स्क्रीन पर चिपके रहने से बच्चों की मानसिक क्षमता पर असर पड़ सकता है. ऐसे में आपका बच्चा भी लगातार मोबाइल स्क्रीन पर समय बिता रहा है तो ये खतरे से खाली नहीं है.
शॉर्ट देखने से क्या होता है?
एक्सपर्ट का कहना है कि लगातार तेज गति से बदलते वीडियो देखने की आदत से बच्चों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घट सकती है. न्यूरोसाइंटिस्ट्स के अनुसार, जब बच्चा मोबाइल पर लगातार शॉर्ट वीडियो या तेजी से कट होने वाले दृश्य देखता है, तो उसका दिमाग जल्दी-जल्दी बदलते दृश्यों का आदी हो जाता है. इससे उनकी गहरी सोचने, तर्क करने और याददाश्त से जुड़ी क्षमताएं प्रभावित होती हैं.
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क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक?
चाइल्ड मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, लगातार वीडियो देखने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, बेचैनी और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) जैसी समस्याएं भी देखी जा सकती हैं. इसके अलावा, स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों की नींद प्रभावित होती है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास धीमा हो सकता है.
क्या है इसका उपाय?
डॉक्टरों की सलाह है कि माता-पिता को बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करना चाहिए और उन्हें आउटडोर एक्टिविटीज, किताबें पढ़ने और क्रिएटिव गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए. टेक्नोलॉजी से पूरी तरह दूर रहना संभव नहीं है, लेकिन सही बैलेंस बनाकर ही बच्चों के दिमागी विकास को स्वस्थ रखा जा सकता है.
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