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Madhya Pradesh Election:जनता खड़ी रहती थी जिनके दरबार में वो राजघराने आज हैं वोट की कतार में

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी खूबसूरती है कि

Updated on: 26 Nov 2018, 01:43 PM

नई दिल्‍ली:

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की यही सबसे बड़ी खूबसूरती है कि जनता जिन राजघरानों के दरबार में कभी खड़ी रहती थी, वही राजघराने आज वोट की कतार में हैं. मध्‍य प्रदेश के चुनाव में आम जनता के दरवाजों पर न केवल ये लोग दस्‍तक दे रहे हैं बल्‍कि वोट के लिए नींबू मिर्च की माला भी पहन रहे हैं. आइए देखते हैं किस राजघराने से जनता के बीच कौन लगा रहा वोट की गुहार.

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सबसे पहले बात सिंधिया राजघराने की. वॉर्टन से एमबीए करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी लोग महाराज कहकर ही बुलाते हैं. ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया (Jyotiraditya Scidia) के पिता माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scidia) गांधी परिवार के बेहद करीबी थे. माधवराव कई बार सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया (Vijayraje Scidia) जनसंघ और BJP की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं.

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ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया कांग्रेस के चुनाव प्रचार समिति के अध्‍यक्ष भी हैं. कांग्रेस को पिछले 15 साल के वनवास से वापस लाने की जिम्‍मेदारी ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के कंधों पर है. वह इस चुनाव में जमकर पसीना बहा रहे हैं. जनसभाओं में जहां शिवराज सिंह चौहान सरकार को घेर रहे हैं वहीं रोड शो के जरिए आम जनता से कांग्रेस के लिए वोट की अपील कर रहे हैं.

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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्कूल की पढ़ाई प्रतिष्ठित दून स्कूल से की है. उन्होंने ग्रैजुएशन की पढ़ाई हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1993 में की और स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की है. कांग्रेस में शामिल होने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता के लोकसभा क्षेत्र गुना और ग्वालियर के विकास कार्यक्रमों में सीधे तौर पर शामिल रहते थे. आज ज्योतिरादित्य राहुल गांधी से एक साल छोटे हैं और दोनों के बीच अच्छी दोस्ती है.

आजादी के बाद कांग्रेस और बीजेपी से जुड़ गया सिंधिया परिवार

1957 में कांग्रेस से सांसद बनने के बाद विजयराजे सिंधिया जनसंघ में आ गई थीं और मरते दम तक बीजेपी के साथ रहीं. माधवराव सिंधिया 1977 में ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 1984 में राजीव गांधी और माधव राव सिंधिया की अच्छी दोस्ती हो गई थी. राजीव गांधी माधव राव सिंधिया से क़रीब एक साल ब़ड़े थे.

सिंधिया परिवार के बारे में जानें

18वीं सदी में पेशवा के मराठा साम्राज्य में सिंधिया वंश के लोग सेनापति रहे. रानोजी सिंधिया के बेटे महादाजी सिंधिया ने उत्तर भारत में मराठा और दिल्ली में मुग़ल राज स्थापित करने में अहम भूमिका अदा की थी. इसी के सम्मान में मुग़ल शासक शाह आलम ने महादाजी हिन्दुस्तान के उपशासक के लिए नामांकित किया था, लेकिन महादाजी ने इसे पेशवा को समर्पित कर दिया था.

दिग्विजय सिंह का राघौगढ़ राजघराना

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का राघौगढ़ राजघराना कभी ग्वालियर राजघराने का हिस्सा था. दिग्विजय सिंह सार्वजनिक रूप से परंपरा के मुताबिक़ ग्वालियर राजघराने के प्रति सम्मान दिखाने में कभी कमी नहीं छोड़ते. जयवर्धन सिंह कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इकलौते बेटे हैं. अपने पिता की परंपरागत सीट राघौगढ़ से वे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

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अमरीका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से हाल ही में डिग्री लेकर लौटे जयवर्धन सिंह पिता की कड़ी निगरानी में पले हैं. दिग्विजय सिंह भले ही दिल्ली और भोपाल में सत्ता के गलियारों में बने रहे हों, लेकिन जयवर्धन सिंह को उन्होंने दिल्ली और भोपाल की चमक-दमक से दूर रखने की हर संभव कोशिश की. चुनाव लड़ाने से पहले उन्होंने अपने बेटे से राघौगढ़ की पदयात्रा करवाई.

अर्जुन सिंह का संबंध चुरहट के सामंती परिवार से नाता

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह दिग्विजय सिंह की दो सरकारों में मंत्री रह चुके हैं. वह विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. अर्जुन सिंह का संबंध चुरहट के सामंती परिवार से रहा है. उनके पिता राव शिव बहादुर सिंह राज्य सरकार में मंत्री थे और संभवतः भारत में पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने वाले पहले राजनेता थे. अजय सिंह परिवार में अंतिम राजनेता हैं. उनके बेटे अरुणोदय सिंह राजनीति की जगह बॉलीवुड में किस्मत आज़मा रहे