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बीजेपी-कांग्रेस की बढ़ी टेंशन, बागी डटे मैदान में, कौन किसके खिलाफ ठोंक रहा ताल, पढ़ें पूरी खबर

मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों के लिए नाम वापसी का बुधवार को आखिरी दिन था. इसके साथ ही बुधवार को ये भी तय होना था कि कौन सी पार्टी अपने कितने बागियों को मनाने में कामयाब होती है.

Updated on: 14 Nov 2018, 05:33 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों के लिए नाम वापसी का बुधवार को आखिरी दिन था. इसके साथ ही बुधवार को ये भी तय होना था कि कौन सी पार्टी अपने कितने बागियों को मनाने में कामयाब होती है. आखिरी दौर में मनाने में बीजेपी और कांग्रेस को कई जगह कामयाबी मिली है, मसलन इंदौर में डैमेज कंट्रोल की कोशिश सफल रही है. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के सभी बागियों ने नाम वापस ले लिए, लेकिन कई सीटों पर बागी अभी भी डटे हुए हैं. ऐसे बागी दोनों ही दलों के लिए सिरदर्द बनेंगे.

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दमोह से बीजेपी के बागी और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया को मनाने की जद्दोजहद दिन भर चलती रही लेकिन कामयाबी नहीं मिली.इनको मनाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, संगठन महामंत्री सुहास भगत ने भी मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं माने अलबत्ता बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा खुद दमोह गए लेकिन वो नहीं माने.

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इसी तरह ग्वालियर की पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता ने अपनी ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया.उन्होंने भी ग्वालियर दक्षिण से निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है, उनको भी मनाने की काफी कोशिशें हुईं लेकिन वो नहीं मानीं. कुछ इसी तरह से भिंड के मौजूदा विधायक नरेंद्र कुशवाह ने भी बीजेपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है, संघ और पार्टी के आला नेताओं के मनाने पर भी वो नहीं माने.. कुछ इसी तरह से लहार में भी बीजेपी छोड़ के BSP का दामन थामकर चुनावी रण में आए अंबरीश शर्मा ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वो भी मनाने पर नहीं माने. इसी तरह से बैरसिया में बीजेपी के पूर्व विधायक ब्रह्मनंद रत्नाकर ने भी नामांकन वापस नहीं लिया.

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कुछ इसी तरह का हाल कांग्रेस का भी है, यहां जतारा से कांग्रेस के मौजूदा विधायक दिनेश अहिरवार नहीं माने तो बुरहानपुर में सुरेंद्र सिंह ने नाम वापसी से इनकार कर दिया है. उज्जैन में जय सिंह दरबार चुनाव लड़ रहे हैं.  बीजेपी के मनाने पर इंदौर तीन से जगदीश घनेरिया ने नाम वापस लिया तो किशोर मीणा और ललित पोरवाल ने भी नाम वापस लिया.कुछ इसी तरह से कांग्रेस के मनाने पर भी कई बागी मान गए इंदौर 1 से कमलेश खंडेवाल ने नाम वापस ले लिया. वैसे इनको मनाने के लिए दीपक बावरिया और दिग्विजय सिंह पहुंचे थे. इंदौर 1 से ही प्रीति अग्निहोत्री ने नाम वापस ले लिया. कमलनाथ के मनाने पर मोती सिंह पटेल भी मान गए यानि कांग्रेस की डैमेज कंट्रोल की कोशिशें कारगर रही.

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बीजेपी के पूर्व मंत्री राघव जी अमित शाह के मनाने पर शमशाबाद सीट से बैकफुट पर आ गए और नाम वापस ले लिया. यहां कई जगह मनाने के लिए सौदेबाजी भी देखी गई मसलन.महाराजपुर से पूर्व सांसद जितेंद्र बुंदेला को मनाने के लिए छतरपुर का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. महेश्वर विधायक राज कुमार मेव को जिला अध्यक्ष बनाने का भरोसा मिला है, लेकिन यहां सवाल ये खड़ा होता है कि जो बागी नहीं मानेंगे क्या उनके खिलाफ पार्टियां कार्रवाई करेंगीं ? क्या बागियों को मनाने के लिए सौदेबाजी भी हुई ? क्या बागी बीजेपी-कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे ?