पिता का साया हर मोड़ पर बेटियों के साथ रहता है. बेटियों को पिता से जितना सुकून और भरोसा मिलता है, उतना उन्हें किसी से भी नहीं मिलता है. पिता और बेटी का जो रिश्ता होता है वो काफी अनोखा रिश्ता होता है. बेटियों की नजरों में पिता एक प्रोटेक्टर, मार्गदर्शक और हीरो होते हैं. पिता की गोद में बेटी सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं. आइए आपको बताते हैं कि आखिर बेटी अपने पिता के इतनी करीब क्यों होती हैं.
बिना कहे समझ जाना
पिता बेटियों के इतने करीब इसलिए होते हैं, क्योंकि वो उनकी बात बिना कहे ही समझ जाते हैं. बेटियों को कुछ कहने की जरूरत नहीं होती है. पिता उनकी आंखों के इशारों से ही बेटी के मन की बात समझ जाते हैं. उनकी यह समझदारी बेटी और पिता के रिश्ते को और गहरा बना देती है.
हर बात शेयर
बेटी अपने पिता से हर छोटी-बड़ी बात शेयर करती है, वह अपने पिता के साथ टाइम स्पेंड करना पसंद करती है और अपने पिता की बातों और सीख को अहमियत देती है. बेटी अपने पिता के हर शब्द, हर फैसले को समर्थन करती है.
सराहना करना
पिता अकसर बेटी की छोटी-छोटी उपलब्धियों की सराहना करते हैं. यही पॉजिटिव रिएक्शन बेटियों को उनके और करीब ले आता है. वहीं मां कई बार बेटी को डांट-फटकार लगा देती हैं.
पिता पहले शिक्षक
बेटियों के जीवन में पिता महत्वपूर्ण सीख देते हैं. जैसे हार को स्वीकारना, मेहनत करना, और खुद पर विश्वास रखना. इस वजह से बेटियां अपने पिता को ‘रियल गुरू’ मानती हैं.
बेटी के आदर्श
बेटियां अपने पिता को पहले आदर्श के रूप में देखती हैं. वे अपने भविष्य के जीवनसाथी में भी वही गुण ढूंढती हैं जो उन्होंने अपने पिता में दिखते हैं,. जैसे इमानदारी, सम्मान और जिम्मेदारी. जिससे की बेटी पिता के करीब जाती हैं.
आत्मविश्वास
पिता अपने बेटी के हर निर्णय में साथ खड़े रहते हैं. जिससे की उनमें आत्मविश्वास भर जाता है. वह जानती है कि चाहे दुनिया कुछ भी कहे, उनके पिता हमेशा उनके साथ खडे रहेंगे.
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