इस्लाम में महिलाओं को खास दर्जा दिया जाता है. इस्लाम में ऐसा माना जाता है कि महिलाएं ढकी हुई खूबसूरत लगती हैं. जिसके लिए इस्लाम में महिलाओं के लिए एक परंपरागत परिधान पहनने की परंपरा है, जो कि काफी बरसों पुरानी हैं. मुस्लिम महिलाएं सिर से लेकर शरीर को ढकने के लिए कई तरह की पोषाक पहनती हैं. जैसे, अबाया, बुर्का, हिजाब. हालांकि अक्सर लोग इन तीनों ही चीजों को एक ही समझने की गलती कर बैठते हैं. हालांकि इन तीनों में काफी फर्क होता है. आइए आपको इन तीनों में फर्क बताते हैं.
हिजाब
हिजाब को काफी लंबे समय से पहना जा रहा है, लेकिन इसको लेकर लोगों के बीच जागरूकता तब बढ़ी जब कर्नाटक में हिजाब विवाद हुआ. हिजाब एक तरह का स्कार्फ होता है, जिसे सिर और गर्दन ढकने के लिए पहना जाता है, इससे बाल छिप जाते हैं, लेकिन फेस दिखाई देता है. अक्सर लोग हिजाब को नकाब समझने की गलती करते हैं. यह इस्लामिक पहनावे का हिस्सा है. इसे आमतौर पर मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और यूरोप की मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं.
अबाया
अबाया एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है-लंबा, ढीला ढाला वस्त्र. यह मुख्य रूप से खाड़ी देशों में पहना जाता है, हालांकि अब इसे हर जगह पहना जाने लगा है. अबाया कंधों से लेकर पैरों तक की लंबाई वाला होता है. यह ढीला गाउन जैसा होता है, जिसे पहनने के बाद लोग स्कार्फ से सिर को ढकते हैं.
बुर्का
बुर्का सबसे पुराना और इस्लामी परिधान है, जो सिर से पांव तक पूरी तरह से आपको कवर करता है. इसके साथ नोज पीस और अलग सा कपड़ा होता है, जो सिर पर बांधा जाता है जिसे आंखों के पास बांधा जाता है. इसमें आंखों के पास जालीदार कपड़े का इस्तेमाल होता है, ताकि महिलाएं बाहर देख सकें. बुर्के में बाहर वाला व्यक्ति आपको नहीं देख सकता है. इसे नकाब के नाम से भी जाना जाता है.
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