डिजिटल वोटर लिस्ट की राहुल गांधी की मांग कानूनी रूप से असंगत : अधिकारी
चारधाम यात्रा सुचारू रूप से जारी, रुद्रप्रयाग हादसे की होगी जांच : गढ़वाल कमिश्नर
पीएम मोदी और सीएम नीतीश की जोड़ी ही बिहार के युवाओं को दिशा दे सकती है: दिलीप जायसवाल
Rinku Singh: बेसिक शिक्षा अधिकारी बनने जा रहे रिंकू ने कितनी की है पढ़ाई? जानकर नहीं होगी यकीन
गर्भ में बच्चे का जेंडर बताने वाली मशीन बेचने वाला गिरफ़्तार, गिरोह का पर्दाफाश
अशोक गहलोत को अपना कार्यकाल याद करना चाहिए : जोगाराम पटेल
इंदिरा ने सत्ता बचाने के लिए आपातकाल लागू किया: त्रिवेंद्र सिंह रावत
जम्मू-कश्मीर : किश्तवाड़ में बाढ़ तैयारियों की समीक्षा, उपायुक्त ने दिए नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश
आपातकाल में जिनके पिता गए जेल, वे कांग्रेस के साथ खड़े हैं : एसपी सिंह बघेल

Kumbh Mela 2025: सदियों पुराना है कुंभ मेले का इतिहास, तथ्य जान हो जाएंगे हैरान!

Kumbh Mela 2025:अतीत से लेकर आज तक कुंभ का महत्व सनातन धर्म की परंपराओं को मजबूत करता है और हिंदू संस्कृति की एकता का मार्ग प्रशस्त करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कुंभ मेला कितना पुराना है और इसका इतिहास क्या है?

Kumbh Mela 2025:अतीत से लेकर आज तक कुंभ का महत्व सनातन धर्म की परंपराओं को मजबूत करता है और हिंदू संस्कृति की एकता का मार्ग प्रशस्त करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कुंभ मेला कितना पुराना है और इसका इतिहास क्या है?

author-image
Rajvant Prajapati
New Update
e

Kumbh Mela 2025

Kumbh Mela 2025: कुंभ स्नान भारत की सांस्कृतिक स्वतंत्रता, उत्सवधर्मिता, सार्वभौमिकता और सामाजिक भावना का एक अध्याय है. अतीत से लेकर आज तक कुंभ का महत्व सनातन धर्म की परंपराओं को मजबूत करता है और हिंदू संस्कृति की एकता का मार्ग प्रशस्त करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कुंभ मेला कितना पुराना है और इसका इतिहास क्या है? आज हम आपको इससे जुड़ी कई सारी जानकारी देंगे...

Advertisment

ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार कुम्भ मेले का इतिहास 850 वर्ष पुराना बताया जा रहा है. लेकिन कुछ अभिलेखों में कुंभ मेले की शुरुआत 525 ईसा पूर्व बताई गई है. जानकारों का कहना है कि गुप्त काल में कुम्भ का आयोजन बहुत अच्छे से हुआ था. जहां सम्राट शिलादित्य 617-647 के काल के कुछ प्रामाणिक तथ्य मिलते हैं. बाद में श्रीमद आग़ा जगतगुरू और उनके शिष्य सुरेश्वराचार्य के वंशजों ने दशनामी संत अखाड़ों के लिए संगम तट पर स्नान की व्यवस्था की थी. वहीं जानकारों का मानना है कि कुंभ मेले का इतिहास इससे भी पुराना है. जिसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है. वेदों में अनेक स्थानों पर कुम्भ शब्द है. जिसका मतलब कुंभ महोत्सव या कुंभ उत्सव नहीं है, बल्कि जल प्रवाह या मटका है. 

कितना प्राचीन है कुंभ मेला - 

ऋग्वेद परिशिष्ट में प्रयाग और स्नान तीर्थ का उल्लेख किया गया है. इसके साथ ही बौद्ध धर्म के पाली सिद्धांत में मज्झिम निकाय की धारा 1.7 का भी उल्लेख किया गया है.

स्नोफॉल देखने के शौकीन लोगों के लिए बेस्ट हैं नैनीताल की ये जगहे, यादगार बन जाएंगे पल

90% लोग नहीं जानते होंगे खाना खाने का सही तरीका, सद्गुरु ने बताया ये तरीका!

महाभारत में भी पापों का प्रायश्चित करने के लिए प्रयाग में तीर्थ स्नान का उल्लेख किया गया है. इसके साथ ही तीर्थयात्रा पर्व में कहा गया है कि हे भरतश्रेष्ठ! जो मनुष्य माघ मास में कठोर व्रत रखकर प्रयाग में स्नान करता है, उसे निष्कलंक स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

प्राचीन ग्रंथों में भी प्रयाग और अन्य नदियों के तट पर त्योहारों का उल्लेख किया गया है. इनमें वे स्थान भी शामिल हैं जहां आज कुंभ मेला लगता है.

दुनिया के इस देश में पाया जाता है सबसे जहरीला और खतरनाक सांप, काटते ही हो जाती है मौत!
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
kumbhmela Kumbh Mela histroy Maha Kumbh Mela 2025 Mahakumbh Mela 2025
      
Advertisment