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Ram Vanji Sutar: विश्व-प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वनजी सुतार का 17 दिसंबर, 2025 को निधन हो गया है. उन्होंने 100 साल की आयु में अपने निवास स्थान नोएडा में मध्य रात्रि में अंतिम सांस ली (today latest news). बता दें कि राम वनजी अपने जीवंत और विशाल मूर्ति निर्माण के लिए मशहूर थे. उन्होंने गुजरात में स्थित दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) का निर्माण किया था. उनका निधन कला जगत के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है.
कौन थे राम वनजी?
राम वनजी सुतार महाराष्ट्र के धूलिया जिले में स्थित गोंडूर गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म यहां 19 फरवरी, 1925 को हुआ था. मूर्तिकार राम की पढ़ाई जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से हुई है. इसके बाद वे साल 1955 में दिल्ली आए थे. यहां वे सूचना और प्रसारण मंत्रालय में कार्यरत थे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के लक्ष्मीनगर में अपना एक स्टूडियो भी खोला था. उन्होंने फ्रीलांसिंग में भी कई मूर्तियां बनाई थीं. 1990 से राम वनजी यूपी के नोएडा में बस गए थे. 2006 में उन्होंने साहिबाबाद में उन्होंने एक कास्टिंग फैक्ट्री भी बनाई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राम वनजी ने अपने जीवन में सबसे पहले महात्मा गांधी की तस्वीर बनाई थी.
#WATCH | Noida, UP: Renowned sculptor Ram Vanji Sutar, creator of the Statue of Unity, passes away at the age of 100. pic.twitter.com/vHZ7mHnm9o
— ANI (@ANI) December 18, 2025
70 लंबे करियर में बनाई कई मूर्तियां
बताया जा रहा है कि मूर्तिकार राम सुतार 100 वर्ष की आयु में भी फिट और काफी एक्टिव थे. वे कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे थे. दिल्ली की संसद में ध्यानमग्न मुद्रा में बैठी गांधी जी की मूर्ति भी उन्होंने बनाई थी. मध्य प्रदेश के गांधी नगर में सागर बांध की मूर्ति का निर्माण भी उन्होंने किया था. राम सुतार ने अंबेडकर, छत्रपति शिवाजी और महाराज सुहेलदेव और कई महान लोगों की प्रतिमाएं निर्मित की हैं. उनके इस यादगार योगदान को देखते हुए भारत सरकार और राज्य सरकारों ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से सम्मानित भी किया है.
आज के विश्वकर्मा थे राम सुतार
राम सुतार की उपलब्धियों को उंगलियों में गिनवाया नहीं जा सकता है. उन्हें आज का विश्वकर्मा भी कहा जाता है. उनका योगदान अजंता और ऐलोरा की गुफाओं में हुई नक्काशियों में रहा है. साल 1954 से 1958 के बीच यहां उन्होंने गुफाओं में पुनर्निर्माण करने में सहायता की थी. उन्होंने चंबल स्मारक को एक ही पत्थर में तराशा था, जो आज भी चर्चा में रहता है. भाखड़ा नांगल डैम में लेबर स्टैच्यू भी राम सुतार ने बनाया था.
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