'देश को गुलामी की मानसिकता से दिलानी है मुक्ति', विद्यानंद महाराज के शताब्दी समारोह में बोले पीएम मोदी

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जैन मुनि विद्यानंद महाराज की जन्म शताब्दी कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को भी संबोधित किया.

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जैन मुनि विद्यानंद महाराज की जन्म शताब्दी कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को भी संबोधित किया.

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Suhel Khan
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PM Modi at 100th birth anniversary of Acharya Shri Vidyanand Ji Maharaj

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Photograph: (ANI/DD)

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में जैन मुनि आचार्य विद्यानंद महाराज के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया. इसके बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, आज हम सब भारत की आध्यात्मिक परंपरा के एक महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी बन रहे हैं. पूर्ज्य आचार्य विद्यानंद महाराज की जन्म शताब्दी का ये पर्व उनकी अमर प्रेरणाओं से ओतप्रोत ये कार्यक्रम एक अभूतपूर्व प्रेरक वातावरण का निर्माण हम सबको प्रेरित कर रहा है.

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पीएम मोदी ने कहा कि 28 जून 1987 में आज की तारीख पर ही आचार्य श्री विद्यानंद महाराज को आचार्य पद की उपाधि प्राप्त हुई थी. पीएम मोदी ने कहा कि वो सिर्फ एक सम्मान नहीं था बल्कि जैन परंपराओं का विचार, संयम और करुणा से जोड़ने वाली एक पवित्र धारा प्रवाहित हुई. आज हम जब उनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं तब ये तारीख उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाती है. पीएम मोदी ने विद्यानंद महाराज को नमन करते हुए कहा कि, उनका आशीर्वाद हम सब पर बना रहे.

'आचार्य विद्यानंद मुनिराज की जन्म शताब्दी एक युग की स्मृति'

पीएम मोदी ने कहा कि आचार्य विद्यानंद मुनिराज की जन्म शताब्दी का ये आयोजन कोई साधारण कार्यक्रम नहीं है. इसमें एक युग की स्मृति की है. एक तपस्वी जीवन की गूंज है. आज इस ऐतिहासिक अवसर को अमर बनाने के लिए विशेष स्मृति के डाक टिकट जारी किए गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, आपने मुझे जो धर्मचक्रवर्ती का जो निर्णय लिया है मैं खुद को उसके योग्य नहीं समझता, लेकिन हमारा संस्कार है कि हमें संतों से जो मिलता है उसे प्रसाद समझकर स्वीकार किया जाता है.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि, इसलिए मैं आपके इस प्रसाद को विनम्रता से स्वीकार करता हूं और मां भारती के चरणों में समर्पित करता हूं. पीएम मोदी ने कहा कि जिस दिव्य आत्मा की वाणी को उनके वचनों को हम जीवनभर गुरु वाक्य मानकर उनसे सीखते हैं, जिनसे हमारे हृदय भावत्मक रूप से जुड़ रहे हैं. उनके बारे में कुछ भी बोलना हमें भावुक कर देता है.

'स्वयं सेवा से जीवन को बनाया जा सकता है धर्म मय'

पीएम मोदी ने कहा कि, आचार्य विद्यानंद महाराज करते थे कि जीवन तभी धर्म मय हो सकता है जब जीवन स्वयं सेवा बन जाए. उनका ये विचार जैन दर्शन की मूल भावना से जुड़ा हुआ है. ये विचार भारत की चेतना से जुड़ा हुआ है. भारत सेवा प्रधान देश है. भारत मानवता प्रधान देश है. दुनिया में जब हजारों वर्षों तक हिंसा से हिंसा को शांत करने के प्रयास हो रहे थे तब भारत ने दुनिया को अहिंसा की शक्ति का बोध कराया. हमने मानवता की भावना को सर्वोपरि रखा है. हमारा सेवा भाव स्वार्थ से परे है, और पर्मार्थ से प्रेरित है. इसी सिद्धांत को लेकर हम देश में भी काम कर रहे हैं. पीएम आवास योजना हो, जल जीवन मिशन हो, आयुष्मान भारत योजना, जरूरत मंद लोगों को मुफ्त अनाज ऐसी हर योजना में समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के प्रति सेवा भाव है.

'विकास और विरासत को आगे बढ़ाना हमारा उद्देश्य'

पीएम मोदी ने कहा कि हम इस योजना में ऐसे काम कर रहे हैं सब मिलकर चलें सब आगे बढ़ें. यही आचार्य विद्यानंद महाराज की प्रेरणा है और यही हमारा संकल्प है. पीएम मोदी ने कहा कि अब हम हायर एजुकेशन में भी मातृ भाषा को बढ़ावा देते हैं. इसलिए मैंने लाल किले से कहा है कि हमें देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दिलानी है. हमें विकास और विरासत को लेकर एक साथ आगे बढ़ना है. इसी को ध्यान में रखते हुए हम भारत के सांस्कृतिक और तीर्थ स्थानों का विकास कर रहे हैं.

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