तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर घमासान मचा हुआ है. इस बीच स्टालिन सरकार ने बड़ा कदम उठा लिया है. डीएमके सरकार ने रुपये के चिन्ह को हटा दिया है. चूंकि रुपये का सिंबल हिंदी से प्रेरित है, इसलिए सरकार ने उसे हटाने का निर्णय किया है. जल्द ही सरकार सिंबल को तमिल अक्षर से बदल देगी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु सरकार ने 2025-2026 बजट के लिए जो प्रचार सामग्री तैयार की है. उसमें 'रुपये' के चिह्न की जगह तमिल अक्षर ने ले ली है. शुक्रवार को बजट सुबह विधानसभा में पेश किया जाएगा.
एनईपी-2020 कोई शिक्षा नीति नहीं- स्टालिन
दरअसल, हिंदी विवाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण शुरू हुई है. बता दें, स्टालिन सरकार का कहना है कि दिल्ली एनईपी-2020 के जरिए हिंदी थोप रही है. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार की शिक्षा नीति को भगवा नीति बताई है. उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 कोई शिक्षा नीति नहीं है बल्कि ये तो भगवा की नीति है. सरकार के अस फैसले का उद्देश्य भारत का विकास करना नहीं है बल्कि हिंदी का विकास करना है. हम एनईपी का विरोध इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि ये शिक्षा क्षेत्र में तमिलनाडु की प्रगति को पूर्ण रूप से नष्ट कर देगी.
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शिक्षा नीति की बताया गलत
बता दें, स्टालिन का कहना है कि एनईपी आरक्षण को स्वीकार नहीं करती है. एनईपी अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों को सहायता राशि देने से इनकार करती है. भाजपा पर निशाना साधते हुए स्टालिन ने कहा कि 10 वर्षों में तमिलनाडु विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में सबसे आगे रहा है.
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केंद्र सरकार के ऑफिस से हिंदी भाषा हटाने की मांग
तमिलनाडु सरकार ने कुछ दिनों पहले एक्स पर कहा था कि संसद में सिर्फ संगोल रखने से तमिलों का सम्मान नहीं बढ़ता है. केंद्र सरकार के ऑफिस से हिंदी को हटाकर तमिल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तमिल को हिंदी के बराबर आधिकारिक भाषा बनाया जाए, जिससे संस्कृत भाषा को अधिक फंड मिले.
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