आंध्र प्रदेश के आईटी और मानव संशाधन विकास मंत्री नारा लोकेश ने दक्षिण भारत में हिंदी को लेकर जारी बहस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत भारत के सभी राज्यों में हिंदी को बढ़ावा देने पर बात की. उन्होंने कहा कि भारत भाषाओं की विविधता वाला देश है. हिंदी को थोपा नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि हर राज्य अलग-अलग है. उन्हें अपनी स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने की आजादी होनी चाहिए.
'एनडीए मातृभाषा को बढ़ाने के लिए काम कर रही है'
एन. लोकेश ने एक कार्यक्रम में कहा कि, मैं जब देश के शिक्षा मंत्री से मिला तो मुझे पता चला कि ऐसा कुछ भी नहीं है. उनका ध्यान तो राज्य में शिक्षा के मीडियम के रूप में तेलुगु को बढ़ाने पर ज्यादा है. भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मातृभाषा को मजबूत करने पर भरोसा जताया है. उन्होंने कहा कि मेरे पिता चंद्रबाबू नायडू ने स्थानीय भाषाओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है.
जर्मन-जापानी भी सीखने पर जोर
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत हर राज्यों में तीन भाषाओं को पढ़ाने की बात की गई है, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा शामिल है. हालांकि, इस बारे में अब कोई भी अनिवार्यता नहीं है. तीन भाषाओं में शिक्षा देने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हमें इन भाषाओं से आगे निकलना चाहिए. हमें जापानी और जर्मन जैसे इंटरनेशनल भाषाएं भी आनी चाहिए.
जर्मन-जापानी भाषा के जानकारों के लिए विदेश में रोजगार के अवसर
उन्होंने बताया कि जर्मनी और जापान में नौकरी के बहुत सारे अवसर खुल रहे हैं, खासकर नर्सों और घरों में मदद करने वाले लोगों के लिए. हमने नर्सों को जर्मन और जापानी सिखाने के लिए समझौते किए हैं, जिससे विदेशों में रोजगार के अवसर मिलेंगे.
उन्होंने बच्चों को बहुत सारी भाषाएं सिखाने के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने पूछा कि उत्तरी राज्यों में तेलेगु क्यों नहीं पढ़ाई जा सकती है. बच्चों को वह सब कुछ सीखना चाहिए, जो वे सीखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं बहुत अच्छी हिंदी बोल लेता हूं. इसकी वजह है कि मैं हैदराबाद से हूं. आज के जमाने में ढेर सारी भाषाएं आनी चाहिए.
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