तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में बुधवार को जनगणना आधारित परिसीमन और ट्राई लैंग्वेज वॉर पर सर्वदलीय बैठक हुई. स्टालिन ने बैठक में परिसीमन के मुद्दे पर दक्षिण भारतीय राज्यों के राजनीतिक दलों को मिलाकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा. स्टालिन ने कहा कि संसद की सीटें बढ़ती हैं तो 1971 की जनगणना को आधार बनाया जाए. उन्होंने मांग की कि 2026 के बाद अगले 30 वर्षों तक के लिए लोकसभा का परिसीमन करते वक्त 1971 की जनगणना को आधार माना जाए.
बैठक में द्रमुक, अन्नाद्रमुक, वामदल और एक्टर विजय की पार्टी टीवीके सहित कई दलों ने हिस्सा लिया. वहीं, भाजपा, एनटीके और तमिल माणिला कांग्रेस ने बैठक का बहिष्कार किया.
सेंगोल से तमिलों का सम्मान नहीं बढ़ेगा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने कहा कि संसद में सिर्फ सेंगोल रखने से तमिलों का सम्मान नहीं बढ़ेगा. केंद्र सरकार के ऑफिस से हिंदी को हटाकर तमिल का इस्तेमाल किया जाए. तमिल को हिंदी के बराबर आधिकारिक भाषा बनाया जाए और संस्कृत से अधिक फंड तमिल को मिले.
हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार पर सवाल
स्टालिन ने संस्कृत और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार पर भी सवाल किए. केंद्र सरकार से उन्होंने मांग की कि थिरुवल्लुवर की रचनाओं को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया जाए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अगर सच में तमिल से प्यार करते हैं तो तमिलनाडु के लिए विशेष योजनाएं लेकर आए. तमिलनाडु को रेलवे के नए प्रोजेक्ट्स मिलने चाहिए.
ट्रेनों का नाम तमिल में किया जाए
स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में हिंदी पखवाड़ा मनाने और योजनाओं का नाम संस्कृत भाषा में देने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. तमिलनाडु की ट्रेनों का नाम हिंदी के बजाए तमिल में रखें जाएं. उन्होंने उदाहरण दिया कि तेजस और वंदे भारत जैसी ट्रेनों का नाम- सेम्मोझि, वैगई, मुथुनगर, थिरुक्कुरल एक्सप्रेस और मलैकोट्टई जैसे नाम दिए जाएं.
परिसीमन क्या है?
परिसीमन यानी लोकसभा और विधानसभा सीट की सीमा तय करने की प्रोसेस. परिसीमन के लिए आयोग बनाया जाता है. 1952, 1963, 1973, और 2002 में आयोग का गठन हो चुका है. परिसीमन प्रक्रिया 2026 से शुरू होगी. 2029 लोकसभा चुनाव में 78 सीटों के इजाफे की संभावना है. दक्षिण भारतीय राज्यों ने जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध किया है.