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भारत को स्वीकार नहीं कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव Photograph: (Social Media)
India-Pakistan Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही सीजफायर हो गया हो लेकिन कूटनीतिक जंग खत्म नहीं हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान का सीजफायर के लिए स्वागत किया है, इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर के 'हजारों साल' पुराने मुद्दे पर मध्यस्थता की भी बात कही है. जिसका पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने न सिर्फ समर्थन किया बल्कि स्वागत भी किया है. वहीं भारत ने कश्मीर पर किसी भी तरह के मध्यस्थता के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.
'सिर्फ पीओके को लौटाने पर ही होगी बात'
विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, भारत ने स्पष्ट कहा है कि कश्मीर के मुद्दे पर हमारा रुख साफ है हमें इसमें किसी भी तीसरे पक्ष का दखल स्वीकार नहीं है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान अगर आतंकियों को सौंपना चाहता है, तो बातचीत के दरवाजे जरूर खुले हैं. इसके साथ ही भारत ने स्पष्ट कहा है कि सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस करने के मुद्दे पर ही बातचीत हो सकती है. इसके अलावा किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत संभव नहीं है. और ना ही हम किसी की इसमें मध्यस्थता चाहते हैं.
We have a very clear position on Kashmir, there is only one matter left- the return of Pakistan-Occupied Kashmir (PoK). There is nothing else to talk. If they talk about handing over terrorists, we can talk. We don't have any intention of any other topic. We don't want anyone to… pic.twitter.com/QWrmbFuK8y
— ANI (@ANI) May 11, 2025
बता दें कि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे पर समाधान खोजने के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं. ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे को 'हजार साल' से चल रहा विवाद बताया था. डोनाल्ड ट्रंप की यह टिप्पणी उनके उस बयान के एक दिन बाद आई, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौता करवाया है.
ट्रंप के ऑफर का शहबाज शरीफ ने किया स्वागत
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऑफर का पाकिस्तान ने स्वागत किया है. पाक सरकार ने एक बयान में कहा कि, 'हम राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान के लिए प्रयासों का समर्थन करने की इच्छा जताने की सराहना करते हैं. पाकिस्तान ने कहा कि ये एक लंबा मुद्दा है, जिसका दक्षिण एशिया और उसके बाहर शांति और सुरक्षा पर गहरा असर है.
पाकिस्तान ने एक बार फिर से दोहराया कि जम्मू-कश्मीर विवाद का कोई भी न्यायसंगत और स्थायी समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक होना चाहिए. साथ ही कश्मीरी लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए.
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