Tahawwur Rana : ब्रेन से जुड़ी इस गंभीर बीमारी से जूझ रहा तहव्वुर राणा, ये रहा अपडेट

तहव्वुर राणा ने पिछले साल अमेरिकी कोर्ट में अपनी बीमारियों का हवाला देते हुए भारत को प्रत्यर्पित नहीं करने की गुहार लगाई थी. उसने कोर्ट को बताया था कि वह कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है

author-image
Mohit Sharma
New Update
Tahawwur Rana

Tahawwur Rana Photograph: (Social Media)

Tahawwur Rana : मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को लेकर एनआईए की टीम भारत पहुंच गई है. तहव्वुर को ला रहा विमान दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड हो चुका है. बताया जा रहा है कि भारत लाए जाने के बाद तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में रखा जा सकता है और यही उसके जुर्मों का हिसाब होगा. इस आतंकी को भारत का कानून इंसाफ के तराजू पर तौलने के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि अब तक तहव्वुर राणा को भारत क्यों नहीं लाया गया था.

Advertisment

यह खबर भी पढ़ें-  भारत पहुंचे तहव्वुर राणा की पहली तस्वीर आई सामने, ऐसा दिखा मुंबई आतंकी हमलों का मुख्य आरोपी

कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहा तहव्वुर राणा

दरअसल, तहव्वुर राणा ने पिछले साल अमेरिकी कोर्ट में अपनी बीमारियों का हवाला देते हुए भारत को प्रत्यर्पित नहीं करने की गुहार लगाई थी. उसने कोर्ट को बताया था कि वह कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है और इसके लिए कई डॉक्यूमेंट्स भी अदालत में पेश किए गए थे. ऐसे में दूसरा सवाल यह कि ततहव्वुर राणा को आखिर ऐसी कौन सी बीमारी है. कोर्ट में पेश किए गए रिपोर्ट्स के अनुसार तहव्वुर राणा कई बार हार्ट अटैक का शिकार हो चुका है. उसे किडनी डिजीज के अलावा पार्किंसन डिजीज और कॉग्निटिव डिक्लाइन जैसी बीमारी हैं. ऐसे में जानते हैं कि क्या है पार्किंसन डिजीज और यह इतना खतरनाक क्यों है. परकिसंस डिजीज ब्रेन से जुड़ी एक बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ती है. यह एक ऐसी बीमारी है जो ना आवाज करती है ना दर्द देती है, लेकिन धीरे-धीरे शरीर की सारी गतिविधियों पर नियंत्रण करना मुश्किल बना देती है.

यह खबर भी पढ़ें-  दिल्ली ने PM ABHIM के तहत केंद्र से मिलाया हाथ, 36 लाख से ज्यादा दिल्लीवासियों को मिलेगा आयुष्मान भारत योजना का लाभ

दुनिया भर में लाखों लोग इस बीमारी की गिरफ्त में

दुनिया भर में लाखों लोग इसकी गिरफ्त में हैं, लेकिन फिर भी जागरूकता बेहद कम है. उम्र बढ़ने पर डोपामाइन बनाने वाली ब्रेन की कोशिकाएं धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं. उम्र बढ़ने के साथ ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस जेनेटिक फैक्टर और न्यूरोइनमेशन जैसी चीजें भी बढ़ती हैं. इससे परकिसंस का रिस्क बढ़ जाता है परकिसन डिजीज एक प्रोग्रेसिव बीमारी है जिसे किसी भी ट्रीटमेंट से पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता. हालांकि दवाओं से इस बीमारी की प्रोग्रेस को रोकने में थोड़ी मदद जरूर मिलती है. एक्सरसाइज फिजियोथेरेपी और डीप ब्रेन स्टिमुलेशन जैसी तकनीकों से लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. कई देशों में पार्किंसन की वैक्सीन को लेकर रिसर्च चल रही है. अगले कुछ सालों में इसकी वैक्सीन आने की संभावना है.

यह खबर भी पढ़ें-  Weather Update: दिल्ली-NCR में धूल भरी आंधी के साथ बूंदाबांदी से बदला मौसम, गर्मी से राहत

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण

इसकी वजह से लोगों के हाथ कांपने लगते हैं. शरीर का बैलेंस बिगड़ने लगता है और चलने की स्पीड बहुत धीमी हो जाती है. इसके अलावा पार्किंसन के मरीजों को स्पष्ट बोलने में भी दिक्कत होने लगती है. इस बीमारी का खतरा 50-60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को अधिक होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह 40 की उम्र में भी हो सकता है, जिसे अर्ली ऑनसेट पार्किंसन कहा जाता है. पुरुषों को महिलाओं की तुलना में पार्किंसन का रिस्क ज्यादा होता है. पार्किंसन के शुरुआती लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि कई बार लोग इसे बढ़ती उम्र का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. पार्किंसन कोई आम बीमारी नहीं यह जिंदगी की क्वालिटी को बुरी तरह प्रभावित कर देता है. जरूरत है समय रहते इसके लक्षणों को पहचानने की और सही इलाज की दिशा में कदम उठाने की. क्योंकि अगर समय रहते आप नहीं संभले तो यह रोग आपके शरीर को धीरे-धीरे जकड़ लेगा.

tahawwur rana news tahawwur rana latest news Tahawwur Rana arrested in US Tahawwur Rana
      
Advertisment