Supreme Court on Maha Kumbh Stampede: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में हुई भगदड़ को दूर्भाग्यपूर्ण घटना बताया. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने देशभर से महाकुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों के सुरक्षा के लिए उपाय और दिशा-निर्देश लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता से कहा कि वह अपनी याचिका लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएं.
जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग
बता दें कि मौनी अमावस्या के मौके पर महाकुंभ भगदड़ मच गई थी. जिसमें 30 लोगों की जान गई थी. जबकि 60 लोग घायल हुए थे. इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने एससी में एक जनहित याचिका दाखिल की थी. जिसमें उन्होंने मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ पर स्टेटस रिपोर्ट और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की थी. इसके साथ ही उन्होंने अपनी याचिका में सभी राज्यों की ओर से मेले में सुविधा केंद्र खोलने की भी मांग की थी. जिससे गैर हिंदी भाषी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो.
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याचिका पर सुनवाई से SC का इनकार
वहीं सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने दलील दी कि इस संबंध में पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है. इस पर शीर्ष कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया और याचिका दायर करने वाले वकील को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की इस दलील पर ध्यान देते हुए कहा कि, महाकुंभ में हुई भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण घटना है.
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29 जनवरी को मची थी महाकुंभ में भगदड़
बता दें कि महाकुंभ में मौनी अमावस्या ( 29 जनवरी) के दिन तड़के करीब 1-2 बजे के बीच भगदड़ मच गई थी. जिससे 90 लोग घायल हुए थे. इसके बाद इनमें से 30 लोगों को मृत घोषित किया गया था. जबकि बाकी बचे 60 लोगों को महाकुंभ परिसर में बने अस्पताल में इलाज कराया गया. इस घटना के बाद भी महाकुंभ में हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. इस घटना के बाद सरकार ने मेला क्षेत्र में भीड़ के प्रबंधन के लिए पांच बड़े उपाय किए हैं. जिनमें बाहरी वाहनों के प्रवेश पर बैन समेत वीवीआईपी पासों को रद्द करना तक शामिल है.