SpaDeX Mission: नए साल से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में एक और उड़ान भरी. इसके साथ ही इसरो ने इतिहास रच दिया. दरअसल, इसरो ने सोमवार रात कई उपग्रहों के साथ अपने वर्कहॉर्स पीएसएलवी रॉकेट को लॉन्च किया, जिसमें दो उपग्रह शामिल हैं. ये उपग्रह एक महत्वाकांक्षी स्वायत्त कक्षीय मिलन और डॉकिंग प्रयोग को अंजाम देंगे. इसके बाद भारत दुनिया के उन चार देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास अंतरिक्ष में लॉकिंग तकनीकी मौजूद है.
जनवरी में NVS-02 उपग्रह की लॉन्चिंग
इस मिशन की सफलता के बाद इसरो जनवरी 2025 में एक और मिशन को लॉन्च करने की योजना बना रहा है. दरअसल, इसरो अगले साल एनवीएस-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) द्वारा लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक, यह मिशन अगले साल के लिए नियोजित कई मिशनों में से एक है. सोमवार रात किए गए पीएसएलवी-सी60 के सफल प्रक्षेपण के बाद सोमनाथ ने यह घोषणा की, जिसमें स्पैडेक्स और अन्य पेलोड को एक साथ अंतरिक्ष में ले जाया गया है.
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बता दें कि इसरो ने इससे पहले 29 मई, 2023 को जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट द्वारा एनवीएस-01 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) ka सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. इसरो प्रमुख ने बताया कि एनवीएस-01 उपग्रह में एक स्वदेशी परमाणु घड़ी है, जो नैविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (एनएवीआईसी) की क्षमताओं की बढ़ोतरी करती है. जिसमें एक मेगा सर्विस कवरेज के लिए एल1 बैंड सिग्नल शामिल है. एस सोमनाथ ने बताया कि, एनवीएस-02 मिशन इस प्रगति को जारी रखने की उम्मीद है, जिससे उन्नत सुविधाओं के साथ एनएवीआईसी प्रणाली को और मजबूत किया जा सकेगा.
PSLV-C60 रॉकेट से की गई लॉन्चिंग
बता दें कि स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडेक्स) को सोमवार रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया. लॉन्चिंग के ठीक 910 सेकंड बाद इस मिशन ने अपने सबसे महत्वपूर्ण बिंदु को छू लिया. इस मिशन में 200-200 किग्रा को दो अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया गया है. जो पृथ्वी की सतह से 476 किमी ऊपर पूर्व की ओर कक्षा में पहुंचाए गए हैं.
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इसरो प्रमुख ने दी सफल प्रक्षेपण की जानकारी
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस मिशन के सफल प्रक्षेपण की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, 'डॉकिंग के लिए अपना मापा अभिसरण शुरू करने से पहले दोनों अंतरिक्ष यान कुछ और दूरी हासिल करेंगे. हम 7 जनवरी के आसपास इस खगोलीय मिलन को पूरा करने की उम्मीद करते हैं.'
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वहीं यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के निदेशक एम शंकरन ने अगले आठ दिनों में सामने आने वाली सूक्ष्म कोरियोग्राफी के बार में बताया. उन्होंने कहा कि, "उपग्रह तैनाती के बीच गणना की गई देरी यह सुनिश्चित करती है कि वे अपने कक्षीय पथों में लगातार अलग हो जाएंगे. हमें उम्मीद है कि कल शाम तक 20 किलोमीटर का अंतर हो जाएगा.'