'डांटना किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने के समान नहीं', खुदकुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी को बरी कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि डांटना किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने के समान नहीं है.

author-image
Suhel Khan
New Update
supreme court 1 june

खुदकुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला Photograph: (Social Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक आरोपी को बरी कर दिया. इस शख्स पर एक छात्र को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगा था. आरोपी स्कूल और छात्रावास का प्रभारी था, जिसने एक अन्य छात्र की शिकायत पर मृतक छात्र को डांटा था. इस घटना से आहत छात्र ने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी. मामले में फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी सामान्य व्यक्ति ये नहीं सोच सकता कि उसकी डांट से कोई खुदकुशी भी कर सकता.

Advertisment

फैसला सुनाते हुए क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि कोई भी सामान्य व्यक्ति यह नहीं सोच सकता था कि डांटने से ऐसी त्रासदी हो सकती है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध के लिए शिक्षक को बरी करने से इनकार कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ ने कहा, "पूरे मामले पर विचार करने के बाद, हम इसे हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला पाते हैं. जैसा कि अपीलकर्ता ने सही ढंग से प्रस्तुत किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "कोई भी सामान्य व्यक्ति यह कल्पना नहीं कर सकता था कि एक छात्र की शिकायत के आधार पर डांटने के परिणामस्वरूप इतनी त्रासदी होगी कि डांटे जाने पर छात्र ने खुदकुशी कर ली."

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की डांट कम से कम यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि मृतक के खिलाफ दूसरे छात्र द्वारा की गई शिकायत पर ध्यान दिया जाए और उपचारात्मक उपाय किए जाएं. SC की पीठ ने कहा, "इस अदालत की सुविचारित राय में, ऐसी स्वीकार की गई तथ्यात्मक स्थिति के तहत, मृतक द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने के संबंध में अपीलकर्ता को कोई मेन्स रीया (गलत काम करने का ज्ञान) नहीं दिया जा सकता है."

वहीं आरोपी ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि उसकी प्रतिक्रिया उचित थी और यह केवल एक अभिभावक के रूप में डांट थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मृतक अपराध को दोबारा न दोहराए और छात्रावास में शांति और सौहार्द बनाए रखा जाए. उसने कहा कि उसके और मृतक के बीच कोई व्यक्तिगत मामला नहीं था.

ये भी पढ़ें: COVID-19 Update: कोरोना के मामलों में फिर दिखी तेजी, देशभर में 3300 से ज्यादा लोग हुए संक्रमित

ये भी पढ़ें: अब्बास अंसारी विधानसभा से अयोग्य घोषित, हेड स्पीच मामले में सजा के बाद गई विधायकी

suicide case suicide Supreme Court
      
Advertisment